दिल्ली के 1,027 सरकारी स्कूलों में से सिर्फ 203 में प्रधानाचार्य: एनसीपीसीआर

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों में महत्वपूर्ण पदों के ख़ाली होने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र से संपर्क करना चाहिए क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.

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(फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों में महत्वपूर्ण पदों के ख़ाली होने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र से संपर्क करना चाहिए क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली के 1,027 स्कूलों से सिर्फ 203 ऐसे स्कूल हैं जिनमें प्रधानाचार्य हैं. उसने महत्वपूर्ण पदों के खाली होने के संदर्भ में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा.

हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने कहा है कि उसके स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.

दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव को लिखे पत्र में एनसीपीसीआर ने कहा कि उसके प्रमुख की अगुवाई वाली टीम ने दिल्ली में कई स्कूलों का दौरा किया और पाया कि आधारभूत अवसंरचना तथा कई अन्य पहलुओं में खामियां हैं.

एनसीपीसीआर के अनुसार, शिक्षा विभाग के तहत आने वाले 1,027 स्कूलों से सिर्फ 203 ऐसे स्कूल हैं जिनमें प्रधानाचार्य या कार्यवाहक प्रधानाचार्य हैं.

आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने कहा कि प्रधानाचार्य की यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती कि स्कूल में पढ़ाई का सकारात्मक माहौल हो.

उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्य नहीं होने से बच्चों की सुरक्षा पर विपरीत असर होता है.

एनसीपीसीआर के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए, दिल्ली सरकार ने आयोग से कहा कि वह प्राचार्यों की नियुक्ति के बारे में केंद्र से जानकारी मांगे.

सरकार ने एक बयान में कहा कि एनसीपीसीआर को केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए क्योंकि दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड सेवा विभाग के अंतर्गत आता है. सेवा चयन बोर्ड सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक अन्य पत्र में, बाल अधिकार निकाय ने मुख्य सचिव को बताया है कि भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने सर्वोदय कन्या विद्यालय, सब्जी मंडी, तिमारपुर का दौरा किया था, जहां ऐसी खामियां पाई गईं, जिनसे गंभीर दुर्घटना हो सकती है.

एनसीपीसीआर के प्रमुख प्रियांक ने कहा, ‘मामले की गंभीरता को देखते हुए आपके कार्यालय से इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाता है और इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट इस पत्र की प्राप्ति के सात दिनों के भीतर आयोग के साथ साझा की जा सकती है.’

मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कानूनगो ने कहा, ‘आयोग को सांसद मनोज तिवारी से एक संदर्भ मिला है कि उन्होंने सब्जी मंडी, तिमारपुर में स्कूल का दौरा किया था. भवन की स्वच्छता से संबंधित प्रमुख मुद्दों को पाया, जिससे कुछ समस्याएं और गंभीर दुर्घटना हो सकती हैं. स्कूल की हालत का एक वीडियो भी सांसद द्वारा साझा किया गया है… आयोग ने उक्त मामले का संज्ञान लिया है.’

भाजपा नेताओं ने दिल्ली के कई स्कूलों का दौरा किया और आप सरकार के इस दावे को गलत साबित करने की कोशिश की कि दिल्ली के स्कूल देश में सबसे अच्छे हैं. ऐसा तब हुआ है जब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा शासित गुजरात में शिक्षा की स्थिति की आलोचना की थी.

आप ने पलटवार करते हुए कहा था कि भाजपा या तो गुजरात के सरकारी स्कूलों को ठीक नहीं करना चाहती या उनके शिक्षा मंत्री अक्षम हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)