जम्मू विकास प्राधिकरण ने एक ध्वस्तीकरण कार्रवाई में जम्मू शहर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की लगभग एक दर्जन दुकानों को गिराया है. दुकान मालिकों का कहना है कि उन्हें दुकानें तोड़े जाने के संबंध में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी, हालांकि, जेडीए ने इस दावे को ख़ारिज किया है.
वीडियो: उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाले 'नेशनल हीरो' वकील हसन के घर को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अतिक्रमण बताते हुए ढहा दिया. उनके परिवार का कहना है कि उनके पास सभी ज़रूरी दस्तावेज़ हैं और इस कार्रवाई की वजह उनकी मुस्लिम पहचान हो सकती है.
उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग के ढह जाने से उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बचाने में जब अत्याधुनिक मशीनें और विदेशी विशेषज्ञ विफल हो गए थे, तब वकील हसन के नेतृत्व में रैट माइनर्स की टीम ने बचाव अभियान को अंज़ाम तक पहुंचाया था. अब, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने वकील के मकान को अवैध बताकर ढहा दिया है.
वीडियो: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में बीते 8 फरवरी को कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इस पूरे मामले को लेकर हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश से द वायर के याक़ूत अली की बातचीत.
वीडियो: उत्तराखंड में हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में बीते 8 फरवरी को कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के बाद भड़की हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई थी. द वायर के याक़ूत अली ने इलाके के दौरा कर वहां रह रहे लोगों से बातचीत की और हालात का जायज़ा लिया.
हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में कथित ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण ने ज़िला प्रशासन की कार्यप्रणाली की कथित ख़ामियों को उजागर किया है. उत्तराखंड की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को भी इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करना है कि जहां तक अल्पसंख्यक अधिकारों का सवाल है, उनके अनुपालन में वह आज तक कितनी चुस्त रही है.
वीडियो: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में नगर निगम द्वारा बनभूलपुरा क्षेत्र में एक मदरसे को ‘अतिक्रमण’ बताकर ढहाने की कार्रवाई के बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी थी. इसमें कम से कम पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इस मामले को लेकर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
वीडियो: उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में नगर निगम द्वारा बनभूलपुरा क्षेत्र में एक मदरसे को ‘अतिक्रमण’ बताकर ढहाने की कार्रवाई के बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी थी. इसमें कम से कम पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.
वीडियो: भारतीय जनता पार्टी के ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ के नारे से बिल्कुल उलट बीते मंगलवार (21 नवंबर) को दिल्ली के मथुरा रोड पर निज़ामुद्दीन दरगाह के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के कारण ठंड के दिनों में सैकड़ों लोग बेघर हो गए. उन्हें अपने घर ख़ाली करने के लिए केवल तीन दिन का समय दिया गया था.
वीडियो: हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा के बाद हुई ध्वस्तीकरण कार्रवाई में घरों के साथ सरकारी अस्पताल के सामने बनी 45 दुकानें भी तोड़ी गई थीं. इनमें से 15 दुकानों के मालिक नवाब शेख़ का कहना है कि उनके पास कोर्ट का स्टे ऑर्डर था, लेकिन फिर भी अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी. उनसे और स्थानीय लोगों से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: हरियाणा के मेवात क्षेत्र के नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा और उसके बाद हुई 'बुलडोज़र कार्रवाई' को स्थानीय वकीलों की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने दर्ज किया है. इन वकीलों से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह हिंसा के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्र में चल रही ध्वस्तीकरण कार्रवाई पर स्वतः संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि क़ानून व्यवस्था की समस्या का इस्तेमाल बिना ज़रूरी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किए समुदाय विशेष से जुड़ी इमारतें गिराने के लिए किया जा रहा है.
वीडियो: 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद हिंसा प्रभावित क्षेत्र में स्थानीय अधिकारियों ने मुस्लिमों की संपत्ति पर ध्वस्तीकरण कार्रवाई की थी. रहवासियों का दावा है कि बिना किसी नोटिस या पूर्व सूचना के ऐसा किया गया. अब बेघर लोग बिना बुनियादी सुविधाओं के रहने को मजबूर हैं.
हरियाणा के नूंह में इस हफ्ते हुई हिंसा के बाद शुक्रवार को ज़िला प्रशासन द्वारा मकान और संपत्तियां तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई है. एक तरफ कुछ अधिकारी तोड़फोड़ का हिंसा से कोई लेना-देना न होने की बात कह रहे हैं, तो दूसरी ओर कुछ अधिकारियों का दावा है कि कुछ संपत्तियों के मालिक हिंसा में शामिल थे.
वीडियो: दिल्ली के तुग़लक़ाबाद क़िले के पास रविवार को एएसआई ने पुलिस बल की मौजूदगी में कथित अवैध निर्माण को हटाने के लिए क़रीब हज़ार घरों को ढहा दिया. यहां के रहवासियों का सवाल है कि अगर उनके घर अवैध थे तो यहां के पते के आधार पर सरकारी एजेंसियों द्वारा क़ानूनी दस्तावेज़ कैसे बनाए जा रहे थे.