साल 2018 में सीबीआई के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और उस समय विशेष निदेशक के पद पर तैनात राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी, जिस पर हुए विवाद के बाद दोनों को सीबीआई से हटा दिया गया था.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि अस्थाना और सीबीआई के डीएसपी देवेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर रिश्वतखोरी के मामले की शुरुआत में जांच करने वाले अधिकारी अजय कुमार बस्सी को 28 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
सीबीआई ने साथ ही रॉ प्रमुख एसके गोयल को मामले में पाक साफ करार दिया है जो इस मामले में जांच के घेरे में थे. सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी एजेंसी से क्लीन चिट मिल गई जिन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था और जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को नई दिल्ली में बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि मैं बुधवार को पश्चिम बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस की हिंसा का समर्थन नहीं करती.
केंद्र की आर्थिक नीतियों को मज़दूर और जन विरोधी बताते हुए दस मज़दूर संगठनों एक दिवसीय हड़ताल का आयोजन किया था. सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई के ख़िलाफ़ मज़दूर संगठनों ने प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने कहा, 'अगर कोई किसी भी तरह के धरने में शामिल होता है तो सैलरी काटने के अलावा उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.'
सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि आयोग मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में सहमत है और सूचना देने से इनकार के लिए आरटीआई कानून की धारा 24 का सहारा नहीं लिया जा सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ कथित रिश्वत लेने के मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को दी गई समयसीमा तीसरी बार बढ़ाते हुए कहा कि इसके बाद और वक़्त नहीं दिया जाएगा.
एक्सक्लूसिव: दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ कथित रिश्वत लेने के मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को चार महीने की मियाद दी थी, जो 30 सितंबर को ख़त्म हो रही है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीआईसी ने अनेक आदेशों में स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जानकारी देने से छूट नहीं मिली है लेकिन सीबीआई में आरटीआई अर्जियों को देखने वाले अधिकारियों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.
आमतौर पर यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली आईएएस, आईएफएस या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया जाता है.
लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकडों के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्रालयों में कुल 93 अतिरिक्त सचिव हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ छह एससी और पांच एसटी हैं. वहीं एक भी अतिरिक्त सचिव ओबीसी समुदाय से नहीं है.
सीआईसी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान डीओपीटी को कड़ी फटकार लगाते हुए ये टिप्पणी की. आयोग ने कहा, ऐसा करना आरटीआई कानून की भावना का गला घोटने जैसा है.
मोदी सरकार ने यह फैसला इस साल अप्रैल में निजी क्षेत्रों के नौ विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव के पदों पर तैनाती के लिए चुनने के बाद किया है.