गौहाटी उच्च न्यायालय ने जेलों में डिटेंशन सेंटर चलाने के लिए असम सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे केंद्र बनाने के बारे में दिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों में भी कहा गया है कि इन्हें जेल परिसर के बाहर बनाया जाना चाहिए.
सीएए और एनआरसी को लेकर हो रहे राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और व्यापक स्तर पर संविधान की बुनियाद पर हमले को लेकर बनी समझ भारतीय राजनीति को एक महत्वपूर्ण बिंदु पर ले आए हैं. इस पृष्ठभूमि में क्षेत्रीय और उप-राष्ट्रीय अस्मिताओं की बढ़ती मुखरता नई राजनीति के लिए एक मज़बूत ज़मीन तैयार कर रही है. तमाम संसाधनों और हिंदू वोट बैंक के बावजूद मोदी और शाह इसे हल्के में नहीं ले सकते.
असम के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने कहा कि मोदी झूठे हैं. असम के गोलपाड़ा ज़िले के मटिया में तीन हज़ार अवैध प्रवासियों के रहने के मद्देनज़र एक बड़े हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने 46 करोड़ रुपये मंज़ूर किए थे. वह अचानक कहते हैं कि देश में कोई हिरासत केंद्र नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में हिरासत केंद्र बनाए जाने और हिरासत केंद्र बनाने को लेकर केंद्र द्वारा विभिन्न राज्यों को भेजे गए दिशानिर्देशों को नकारते हुए बीते रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में कहा था कि भारत में कहीं भी हिरासत केंद्र नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार में एनआरसी शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है. हालांकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत भाजपा के विभिन्न नेताओं ने समय-समय पर कहा है कि देश भर में एनआरसी लागू किया जाएगा.
नागरिकों की ‘शुद्धता की कवायदें और अंधराष्ट्रवाद’ वह खाद-पानी है, जिस पर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी विचार मज़बूती पाता है.