अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम लागू करने के लिए कथित आपत्तिजनक टिप्पणी 'सार्वजनिक तौर' पर और पीड़ित की उपस्थिति में की जानी चाहिए. हालांकि केरल हाईकोर्ट ने कहा कि डिजिटल युग में डिजिटल जगहें भी सार्वजनिक स्थान हैं और भौतिक उपस्थिति में ऑनलाइन मौजूदगी शामिल है.