जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार राजनीतिक दलों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चुनाव आयोग के समक्ष 20,000 रुपये से अधिक के सभी योगदानों का विवरण देना ज़रूरी है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड इसके दायरे में नहीं आते हैं और प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल उन्हें अपनी योगदान रिपोर्ट में शामिल नहीं करते.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2020 में भाजपा द्वारा घोषित चंदे की राशि कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और टीएमसी द्वारा इसी अवधि में प्राप्त चंदे की कुल राशि से तीन गुना से भी अधिक है. भाजपा को 785.77 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि शेष दलों को कुल 228.035 करोड़ रुपये का चंदा मिला.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे की 76.17 फीसदी राशि भाजपा को मिली है. इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस को 58 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.