एक याचिका में भारत सरकार और सभी राज्यों को समाज के कमज़ार तबकों, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीके लगाए जाने की व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. याचिका के अनुसार, इन लोगों को कोविन पोर्टल पर ख़ुद को पंजीकृत करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 75 वर्ष से अधिक आयु और विशेष रूप से सक्षम लोगों को घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध किया गया है. केंद्र ने कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है. पीठ ने कहा कि जब केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऐसे अभियान चला रहे हैं तो केंद्र को क्या दिक्कत है.
सरकार को घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का रुख़ सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतज़ार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए. एक अन्य मामले में अदालत ने सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के पास निर्धारित सात पहचान पत्र नहीं है, वे टीकाकरण के लिए क्या करें, इसके लिए क्या क़दम उठाए गए हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें 75 साल से अधिक उम्र के लोगों या टीकाकरण केंद्र जाने में अक्षम लोगों को घर में जाकर टीका लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने हमें निराश किया है. आपके अधिकारी असंवेदनशील हैं. बुज़ुर्गों को टीकाकरण केंद्रों की ओर जाने के बजाय आपको उन तक पहुंचना चाहिए.