अदालत ने दहेज हत्या के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए कहा कि यदि निर्धारित अवधि में चार्जशीट दायर नहीं की जाती, तो विचाराधीन क़ैदी को ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के स्वतंत्र होने के अधिकार को जांच जारी रखने और आरोपपत्र दायर करने के राज्य के अधिकार पर प्राथमिकता दी जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि दहेज हत्या के मामलों में निचली अदालतें अक्सर आरोपी के बयान को बहुत ही सरसरी तौर पर दर्ज करती हैं और कभी-कभी बिना किसी सक्रिय भूमिका के पुरुष के परिजनों को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है. शीर्ष अदालत ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं.