पुण्यतिथि विशेष: डॉ. राममनोहर लोहिया के संसदीय जीवन की विडंबना पर जाएं, तो अल्पज्ञात व अचर्चित होने के बावजूद उनमें सबसे बड़ी यह है कि अपने अंतिम दिनों में वे लोकसभा में जिस कन्नौज सीट का प्रतिनिधित्व करते थे, अपने निधन के बाद आए हाईकोर्ट के फैसले में उसे हार गए थे.
पुस्तक अंश: कनॉट प्लेस का मशहूर कॉफी हाउस 27 दिसंबर 1957 को पुराने कॉफी हाउस के हड़ताल पर बैठे कामगारों को राममनोहर लोहिया द्वारा प्रेरित किए जाने के बाद टेंट में शुरू हुआ था. तब यह दिल्ली का सबसे बड़ा राजनीतिक वैचारिक मुठभेड़ों का अड्डा हुआ करता था.
बाबासाहब डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने दलितों में तो डाॅ. राममनोहर लोहिया ने पिछड़ी जातियों में सत्ता तथा शासन में हिस्सेदारी की भूख पैदा की और उन्हें संघर्ष करना सिखाया. आज की तारीख़ में इन दोनों के अनुयायियों को एकजुट करके ही हिंदुत्ववादी व मनुवादी ताकतों को निर्णायक शिकस्त दी जा सकती है.