हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी भले ही पूर्ण बहुमत के साथ रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही हो, लेकिन उसके 10 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए. वहीं, कांग्रेस ने निर्दलीय चुनाव लड़े पार्टी के बाग़ियों की बग़ावत से खासा नुकसान झेला है.
हरियाणा के नामी राजनीतिक परिवारों में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल, बंसीलाल और देवीलाल के परिवार शामिल हैं, जिनके सदस्य अपना गढ़ नहीं बचा सके. पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के परपोते जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला और उनके भाई पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपनी सीट नहीं बचा सके.
विरोध के कारणों में किसान आंदोलन प्रमुख है. कुछ निर्वाचन क्षेत्र तो ऐसे हैं जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता है. विरोध का सामना जननायक जनता पार्टी को भी करना पड़ रहा है, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा से गठबंधन कर लिया था.
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला ने आगामी चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन न करने की बात कहते हुए जोड़ा कि उनकी पार्टी आने वाले दिनों में राज्य की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी होगी.
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हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा भारतीय जनता पार्टी की नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस में जाने के साथ ही सदन में भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन रह गया है. यह आंकड़ा बहुमत से दो कम है.
हाल ही में हरियाणा सरकार के नवगठित मंत्रिमंडल से हटाए गए पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने अंबाला में हुई एक रैली में बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें उनकी ही पार्टी में बेगाना कर दिया है, पर कई बार बेगाने अपनों से भी ज़्यादा काम करते हैं.
इस कदम के पीछे का तात्कालिक कारण जननायक जनता पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी के साढ़े चार साल के गठबंधन का टूटना बताया जा रहा है. आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीट आवंटन में मतभेद को भाजपा-जजपा गठबंधन में दरार का मुख्य कारण माना जा रहा है.
जननायक जनता पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आरोप लगाया है कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने प्रशासन को इस बात का सटीक विवरण नहीं दिया कि कितने लोग शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन को सही ढंग से सूचित किया गया होता, तो सांप्रदायिक हिंसा से बचा जा सकता था.
रोहतक ज़िले के अस्थल बोहर में शनिवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज में कई लोग घायल हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी निंदा करते हुए कहा है कि वे राज्य के भाजपा नेताओं और सरकार के लगातार किसान विरोधी भाषण और व्यवहार से अपमानित महसूस कर रहे हैं.
हरियाणा सरकार ने इस महीने की शुरुआत में निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण देने वाले क़ानून को मंज़ूरी दी थी. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि यह क़ानून कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.
हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 88 सदस्य हैं. अविश्वास प्रस्ताव पर छह घंटे चली चर्चा के बाद प्रस्ताव के ख़िलाफ़ 55 और पक्ष में 32 मत पड़े. सदन में राज्य सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक ने कहा कि कृषि क़ानूनों के चलते भाजपा-जेजेपी नेताओं को उनके गांवों में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है.
हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक में निजी क्षेत्र की ऐसी नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया, जिनमें वेतन प्रति माह 50,000 रुपये से कम है. इस विधेयक के प्रावधान निजी कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों और साझेदारी वाली कंपनियों पर भी लागू होंगे.
किसान आंदोलन से हुए राजनीतिक नुकसान को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से भाजपा द्वारा विभिन्न राज्यों में बैठकें की जा रही हैं. गुड़गांव में हुई ऐसी बैठक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से एक कार्यकर्ता प्रदर्शनकारी किसानों को 'बहकाने का मंत्र' देने की बात कहते नज़र आ रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की बैठक के बाद ये कदम उठाया गया है. राज्य की भाजपा नीत सरकार नए कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों के भारी विरोध का सामना कर रही है.