बजट 2024: मोदी सरकार का हाथ बड़े उद्योगों के साथ, मध्यम वर्ग की कमर टूटी

वीडियो: मोदी सरकार के अंतरिम बजट को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर दीपांशु मोहन.

क्या आज के सत्ताधारी राम राज्य बना सकते हैं?

राम राज्य अपने आप नहीं आएगा, इसके लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रयास करने होंगे. सभी के लिए न्याय चाहिए होगा. लिंग, जाति, समुदायों के बीच समता लानी होगी. सभी के लिए उचित कमाई वाले रोज़गार, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं और माहौल चाहिए होगा. लेकिन सिर्फ राम का आह्वान करने से ये नहीं होगा.

राम राज्य में किस तरह की अर्थव्यवस्था होनी चाहिए?

वीडियो: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.

140 करोड़ भारतीय केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा थोपे गए अन्याय काल में जी रहे हैं: कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसी कार्यक्रम की चकाचौंध के पीछे वास्तविकता को छिपाने की कला में महारत हासिल कर लिया है. यही देश और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए संकट बन गया है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने 45 साल की उच्चतम बेरोज़गारी दर के साथ भारत को बेरोज़गारी में ‘विश्वगुरु’ बना दिया है.

युवा बेरोज़गारी बढ़ रही है, इसका मुख्य कारण ग्रामीण बेरोज़गारी है: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में 20 से 24 आयु वर्ग के लोगों में बेरोज़गारी दर जुलाई से सितंबर 2023 की पिछली तिमाही के 43.65 प्रतिशत से बढ़कर 44.49 प्रतिशत हो गई. वहीं, 25-29 आयु वर्ग के लिए यह 14.33 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 13.35 प्रतिशत थी.

आमदनी, बेरोज़गारी, ग़रीबी, महंगाई, जीडीपी, एमएसपी पर 2023 में कैसी रही मोदी सरकार की नीति?

वीडियो: साल 2023 में आमदनी, बेरोज़गारी, ग़रीबी, महंगाई, जीडीपी, खेती-किसानी, एमएसपी पर मोदी सरकार की अर्थनीति क्या रही है? द वायर के अजय कुमार बता रहे हैं कि देश की सत्ता पर क़रीब 10 साल से क़ाबिज़ मोदी सरकार के तहत ज़्यादातर लोगों के जीवन में कोई बड़ा बुनियादी बदलाव नहीं आया है.

भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, लेकिन धन कुछ हाथों में ही केंद्रित हो रहा है: राहुल गांधी

अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान पिछले 10 वर्षों में आर्थिक विकास के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पूछे जाने वाला सवाल यह है कि उस विकास की प्रकृति क्या है और उससे किसे लाभ हो रहा है. भारत बढ़ रहा है, लेकिन वह बड़े पैमाने पर बहुत कम लोगों की ओर धन केंद्रित कर रहा है.

दिल्ली में भारतीय रिज़र्व बैंक के बाहर क्यों लगी लोगों की क़तारें?

वीडियो: रिज़र्व बैंक ने बीते मई में 2016 की नोटबंदी में लाए गए दो हज़ार रुपये के नोट को चलन से बाहर किए जाने की घोषणा करते हुए कहा था कि इन्हें 30 सितंबर तक बदला जा सकता है. बाद में यह समयसीमा सात अक्टूबर तक बढ़ाई गई. फिर कहा गया कि जो लोग अब भी नोट नहीं बदल सके, वे आरबीआई के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों से जाकर नोट बदल सकते हैं.

पीएम मोदी ने पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की तुलना ‘धन पर बैठे सांप’ से की थी: पूर्व सचिव

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपनी किताब में बताया है कि अर्थव्यवस्था की समीक्षा पर हुई एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपा खोकर पटेल पर भड़क उठे थे, क्योंकि पटेल आरबीआई के संचित रिज़र्व का इस्तेमाल करने के ख़िलाफ़ थे.

मोदी सरकार के ‘विकास’ मॉडल में ग़रीब रोटी को तरस रहा है और पूंजीपति रईस हो रहे हैं

2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था बेतहाशा महंगाई और आय असमानता का सामना कर रही है. बढ़ती महंगाई अकेले बाज़ार ताक़तों के चलते नहीं है, बल्कि यह उस सरकारी रवैये का नतीजा है जहां एक वर्ग को दूसरे पर प्राथमिकता दी जाती है.

भारतीय जीडीपी में बढ़ती विसंगतियां विकास की झूठी कहानी की ओर इशारा करती हैं: विशेषज्ञ

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक़, वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही. हालांकि, विशेषज्ञों का दावा है कि भारत के आधिकारिक जीडीपी आंकड़े भ्रामक हैं.

मोदी के तीसरे कार्यकाल में टॉप-3 में होगी भारत की अर्थव्यवस्था, इस खोखली गारंटी का पूरा सच

वीडियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की अर्थव्यवस्था को हमेशा आकार के लिहाज़ से पेश करते हैं, प्रति व्यक्ति आमदनी के लिहाज़ से नहीं. हाल ही में उन्होंने कहा कि उनके पहले कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में ‘10 नंबरी’ (10वें स्थान पर) थी. दूसरे कार्यकाल में 5वें नंबर पर थी. अब उन्होंने गारंटी दी है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

मोदी सरकार के नौ साल में भारत पर क़र्ज़ कितना बढ़ा है?

वीडियो: बीते 9 साल में भारत का क़र्ज़ा अगर 100 लाख करोड़ बढ़ा है, तो यह गया कहां? क़र्ज़ बढ़ने का भारत के लोगों को क्या फायदा हुआ? बीते 9 साल में टैक्स कलेक्शन में 3 गुना की बढ़ोतरी हुई है? इसे किस तरह देखा जाना चाहिए?

कांग्रेस का दावा- भारत पर 155 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़, श्वेत-पत्र लाने की मांग की

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से क़र्ज़ का बोझ 100 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ गया है. 67 वर्षों में 14 प्रधानमंत्रियों के रहते क़र्ज़ 55 लाख करोड़ रुपये था, जबकि मोदी कार्यकाल में इसमें 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई है.

2,000 रुपये को नोटों की वापसी की जटिल प्रक्रिया का असली निशाना कौन है?

2,000 रुपये के नोट रखने वालों के लिए अब एक स्पष्ट प्रोत्साहन है कि वे बैंक में पैसे जमा करने के बजाय सिर्फ एक्सचेंज के लिए जाएं और आयकर उद्देश्यों के लिए जांच की जाए. हालांकि, नोट एक्सचेंज करने को काफी मुश्किल बना दिया गया है क्योंकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये ही बदले जा सकते हैं.