सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एसके कौल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाकर पांच साल तक करने के संशोधित क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे पीठ का हिस्सा थे. सुनवाई से ख़ुद को अलग करने के अपने इस फैसले के संबंध में उन्होंने कोई कारण नहीं बताया है.
राष्ट्रपति ने सीबीआई और ईडी प्रमुखों का कार्यकाल विस्तार दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने वाले अध्यादेशों को 14 नवंबर को मंज़ूरी दी थी. राष्ट्रपति सचिवालय ने आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी मुहैया कराने से इनकार कर दिया कि आख़िर ये अध्यादेश किस आधार पर लाए गए थे.
संसद ने बीते मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक को मंज़ूरी दे दी. इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक के कार्यकाल को वर्तमान दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष तक किए जाने का प्रस्ताव है. चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य निलंबित 12 सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था.
लोकसभा में पेश सीबीआई-ईडी के निदेशकों के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक करने वाले विधेयकों को कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की घोर अवहेलना बताया, वहीं टीएमसी के सौगत राय ने कहा कि दोनों एजेंसी सरकार के दो हाथ हैं जिनका दुरुपयोग विपक्ष को परेशान करने के लिए किया जाएगा.
एनजीओ कॉमन कॉज़ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाकर 18 नवंबर 2021 तक किए जाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को चुनौती दी है. 19 नवंबर 2018 को उनका कार्यकाल दो साल तय किया गया था. नवंबर 2020 में कार्यकाल के कुछ ही दिन शेष रहने पर सरकार ने वास्तविक नियुक्ति आदेश में संशोधन कर उसे तीन साल कर दिया था.