मणिपुर सरकार के ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान पर टिप्पणी के लिए संपादक को हिरासत में लिया गया

मणिपुर के एक टीवी चैनल पर पैनल चर्चा के दौरान राज्य की भाजपा सरकार के ‘ड्रग्स के ख़िलाफ़ अभियान’ पर टिप्पणी करने के लिए स्थानीय अख़बार के संपादक हेमंत कुमार निंगोम्बा उनके आवास से पुलिस ने उन्हें उठा लिया था. हालांकि कुछ घंटे हिरासत में रखने के बाद उन्हें रिहा कर दिया. कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है.

मणिपुर: एनआईए पर संपादक का उत्पीड़न करने का आरोप, पत्रकारों ने विरोध जताया

आरोप है कि एनआईए ने सांध्य दैनिक ‘कांगलीपक्की मीरा’ के प्रधान संपादक डब्ल्यू. श्यामजई को दो अगस्त को अपने कार्यालय में तलब किया था. दोपहर तक बिना बातचीत किए उन्हें एक छोटे से कमरे में रखा गया और फिर उनसे भूमिगत समूहों के बारे में ‘अनर्गल’ सवाल किए गए.

मेघालय के पत्रकार पर आपराधिक मामला, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला: एडिटर्स गिल्ड

पद्मश्री से सम्मानित द शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक मुखीम पर एक फेसबुक पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया गया था. बीते 18 नवंबर को मुखीम ने इस मामले पर एडिटर्स गिल्ड की चुप्पी का हवाला देते हुए विरोध स्वरूप इस संगठन की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था.

आपातकाल: नसबंदी से मौत की ख़बरें न छापी जाएं

आपातकाल के 44 साल बाद इन सेंसर-आदेशों को पढ़ने पर उस डरावने माहौल का अंदाज़ा लगता है जिसमें पत्रकारों को काम करना पड़ा था, अख़बारों पर कैसा अंकुश था और कैसी-कैसी ख़बरें रोकी जाती थीं.

क्या आपातकाल को दोहराने का ख़तरा अब भी बना हुआ है?

आपातकाल कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि सत्ता के अतिकेंद्रीकरण, निरंकुशता, व्यक्ति-पूजा और चाटुकारिता की निरंतर बढ़ती गई प्रवृत्ति का ही परिणाम थी. आज फिर वैसा ही नज़ारा दिख रहा है. सारे अहम फ़ैसले संसदीय दल तो क्या, केंद्रीय मंत्रिपरिषद की भी आम राय से नहीं किए जाते, सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री की चलती है.

मीडिया बोल, एपिसोड 54: शुजात बुख़ारी की हत्या, कश्मीर के हालात और मीडिया

मीडिया बोल की 54वीं कड़ी में उर्मिलेश पत्रकार शुजात बुख़ारी की हत्या, कश्मीर की स्थिति और मीडिया पर आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो मनोज जोशी और जम्मू कश्मीर पर संप्रग सरकार के समय बनी वार्ताकार समिति के सदस्य एमएम अंसारी से चर्चा कर रहे हैं.

‘कश्मीर को भारत का अंग मानते हैं तो कश्मीरियों को वही अधिकार देने होंगे जो आम भारतीय के पास हैं’

वीडियो: श्रीनगर में पत्रकार शुजात बुख़ारी की हत्या और कश्मीर के हालात पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा से द वायर के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह की बातचीत.

हत्या के चंद घंटे पहले तक पत्रकारिता और मानवाधिकार का बचाव करते रहे शुजात बुख़ारी

जम्मू कश्मीर के बारामूला में पत्रकार शुजात बुख़ारी के जनाज़े में हज़ारों लोग हुए शामिल. पुलिस ने बाइक सवार संदिग्धों की तस्वीरें जारी कीं.