मुंबई: तलोजा जेल में खाने को लेकर कथित भ्रष्टाचार, आम बंदियों का राशन वीआईपी क़ैदियों को देने का आरोप

महाराष्ट्र पुलिस और अदालत को दी गई एक विस्तृत शिकायत में एल्गार परिषद मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग और सागर गोरखे ने तलोजा जेल में आम और विशेष क़ैदियों के बीच भेदभाव का आरोप लगाया है.

एल्गार परिषद केस: गौतम नवलखा नज़रबंदी से रिहा हुए

एल्गार परिषद मामले में वर्ष 2020 में गिरफ़्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा 2022 से अपने नवी मुंबई स्थित घर में नज़रबंद थे. पिछले साल 19 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी, लेकिन एनआईए के अनुरोध पर आदेश को तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था. बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने इस अवधि को बढ़ा दिया था.

एल्गार परिषद केस: गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने दी ज़मानत

गौतम नवलखा को 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ़्तार किया गया था. शुरुआती वर्षों में वह जेल में रहे, हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें 10 नवंबर, 2022 से नवी मुंबई के घर में नज़रबंद रखा गया था.

एल्गार परिषद मामले में छह साल से जेल में बंद शोमा सेन को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दी

शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर हैं और उन्हें एल्गार परिषद मामले में कथित माओवादी संबंधों के लिए 6 जून, 2018 को पुणे पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. तब से सेन न्यायिक हिरासत में हैं.

सुधा भारद्वाज की जेल डायरी: जेल की घुटन और उसमें धड़कते जीवन का जीवंत दस्तावेज़

पुस्तक समीक्षा: हाल ही में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज की जेल डायरी ‘फ्रॉम द फांसी यार्ड: माय इयर्स विथ द वूमेन ऑफ यरवदा’ प्रकाशित होकर आई है. इस डायरी को उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में रहते हुए लिखा है. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपियों में से एक सुधा 3 साल से अधिक समय तक जेल में रही हैं.

एल्गार परिषद केस: 5 साल बाद वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली

जनवरी 2018 में पुणे पुलिस द्वारा दर्ज किए गए और 2020 में एनआईए को सौंप दिए गए एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को ज़मानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ उपलब्ध सबूत उन्हें लगातार हिरासत में रखने का आधार नहीं हो सकते हैं.

एल्गार परिषद केस: गौतम नवलखा की नज़रबंदी 17 फरवरी तक बढ़ाई गई

एल्गार परिषद मामले में आरोपी 70 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को बीते 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए नज़रबंद करने का आदेश दिया था.

एल्गार परिषद: कार्यकर्ताओं ने आरोपियों की रिहाई और झूठे सबूत गढ़ने के आरोपों की जांच की मांग की

बीते दिनों एक अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक फर्म की रिपोर्ट में पाया गया था कि एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के लैपटॉप में उन्हें फंसाने वाले दस्तावेज़ प्लांट किए गए थे. 84 वर्षीय स्वामी की जुलाई 2021 में अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर ज़मानत का इंतज़ार कर रहे थे.

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला: ऑपरेशन के लिए हेनी बाबू को चार दिन की ज़मानत

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हेनी बाबू के वकील युग चौधरी ने बताया कि पीठ ने निर्देश दिया है कि उनके मुवक्किल को मोतियाबिंद का ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल ले जाया जाए और 24 दिसंबर को वापस जेल ले आया जाए.

स्टेन स्वामी के लैपटॉप में उन्हें फंसाने वाले दस्तावेज प्लांट किए गए थे: फॉरेंसिक रिपोर्ट

मैसाच्युसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेन स्वामी लगभग पांच वर्ष तक एक मैलवेयर कैंपेन के निशाने पर थे, जब तक कि जून 2019 में पुलिस द्वारा उनके उपकरण ज़ब्त नहीं किए गए.

विवेक अग्निहोत्री ने जज पर पक्षपात के आरोप लगाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से माफ़ी मांगी

2018 में फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर लिखा था कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर ने एल्गार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा की नज़रबंदी का आदेश इसलिए रद्द किया था क्योंकि वे जज की पत्नी के दोस्त थे. अग्निहोत्री की माफ़ी के बाद कोर्ट ने कहा कि वे उसके समक्ष पेश होकर खेद जताएं.

सुप्रीम कोर्ट ने आनंद तेलतुंबड़े की ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए की अपील ख़ारिज की

एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट से सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने एनआईए से कहा कि वे हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

प्रथमदृष्टया यह नहीं कह सकते कि आनंद तेलतुंबड़े किसी आतंकी गतिविधि में शामिल थे: अदालत

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को ज़मानत देने वाले अपने विस्तृत आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ ज़ब्त सामग्री किसी भी रूप में यह साबित नहीं करती है कि उन्होंने यूएपीए अधिनियम की धारा-15 के तहत कोई आतंकी कृत्य किया है या उसमें शामिल रहे हैं.

अदालत ने एनआईए की याचिका ख़ारिज की, नवलखा को 24 घंटे के अंदर घर में नज़रबंद करने को कहा

एनआईए ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के माओवादियों के साथ संबंधों का हवाला देते हुए उन्हें जेल के बजाय घर में नज़रबंद करने के सुप्रीम कोर्ट के 10 नवंबर के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था. 70 वर्षीय नवलखा एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में अप्रैल 2020 से जेल में बंद हैं और अनेक रोगों से जूझ रहे हैं.

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