कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: समाज, शिक्षा, धर्म, मीडिया आदि में जो ज़हर फैल गया है वह रातोंरात ग़ायब नहीं हो जाएगा, न हो रहा है. हमारे समय का एक दुखद अंतर्विरोध यह है कि ये शक्तियां अब भी हावी और सक्रिय हैं, उन्हें समर्थन देने वाला पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग झांसों-वायदों की गिरफ़्त में है.
जो लोग यक़ीन करते हैं कि भारत अब भी एक लोकतंत्र है, उनको बीते कुछ महीनों में मणिपुर से लेकर मुज़फ़्फ़रनगर तक हुई घटनाओं पर नज़र डालनी चाहिए. चेतावनियों का वक़्त ख़त्म हो चुका है और हम अपने अवाम के एक हिस्से से उतने ही ख़ौफ़ज़दा हैं जितना अपने नेताओं से.