लोकसभा में शून्य काल के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अल जज़ीरा और द रिपोर्टर्स कलेक्टिव द्वारा प्रकाशित फेसबुक के एल्गोरिदम संबंधी उन रिपोर्ट्स का ज़िक्र किया जिनमें इस सोशल मीडिया कंपनी द्वारा विपक्षी राजनीतिक दलों की तुलना में भाजपा को सस्ती दरों पर विज्ञापन देने का ख़ुलासा हुआ था.
फेसबुक द्वारा मिली सस्ती दरों ने भारत में फेसबुक के सबसे बड़े राजनीतिक ग्राहक- भारतीय जनता पार्टी को कम धनराशि में विज्ञापनों के ज़रिये ज़्यादा मतदाताओं तक पहुंचने में मदद की.
फेसबुक ने कई सरोगेट विज्ञापनदाताओं को भाजपा के प्रचार अभियान को गुप्त तरीके से फंड करने दिया, जिससे बिना किसी जवाबदेही के ज़्यादा लोगों तक पार्टी की पहुंच मुमकिन हुई.
विपक्षी नेताओं ने एक रिपोर्ट को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है, जिसमें दावा किया गया है कि मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले भारत के सबसे बड़े उद्योग समूह ने 2019 के संसदीय चुनावों और नौ राज्यों के चुनावों में भाजपा की पहुंच और लोकप्रियता को बढ़ावा देने के लिए सरोगेट विज्ञापनों को बढ़ावा देने पर लाखों रुपये ख़र्च किए.
विशेष रिपोर्ट: क़ानूनी ख़ामियों, फेसबुक द्वारा नियमों के चुनिंदा इस्तेमाल के चलते मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस द्वारा वित्तपोषित एक कंपनी ने 2019 के आम चुनाव और कई विधानसभा चुनाव के दौरान फेसबुक पर ख़बरों की शक्ल में भाजपा समर्थक विज्ञापन चलाए, जो दुष्प्रचार और फ़र्ज़ी नैरेटिव से भरे हुए थे.
गुजरात में अहमदाबाद शहर के धंधुका कस्बे में कथित तौर पर एक फेसबुक पोस्ट को लेकर बीते 25 जनवरी को एक युवक की हत्या कर दी गई थी. इससे पहले मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने उनके ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. गुजरात एटीएस ने हत्या के संबंध में दो मौलवियों समेत अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया है.
गुजरात के अहमदाबाद ज़िले में बीते 25 जनवरी को फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट करने को लेकर एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस संबंध में एक मौलवी समेत तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इस मामले में मृत युवक को बीते दिनों ज़मानत मिली थी.
एक्सक्लूसिव: द वायर ने उन दावों की पड़ताल की है, जिसमें कहा गया है कि ऑनलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा प्रमुख सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को हाईजैक करने और घरेलू उपयोगकर्ताओं के बीच दक्षिणपंथी प्रोपगैंडा को बढ़ावा देने के लिए एक बेहद परिष्कृत ऐप 'टेक फॉग' का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सोशल मीडिया कंपनी वॉट्सऐप ने अपनी ताज़ा अनुपालन रिपोर्ट में कहा कि इस दौरान इस दौरान उसे 602 शिकायतें मिली हैं. नए आईटी नियमों के तहत 50 लाख से अधिक यूज़र्स वाले बड़े डिजिटल मंचों को हर महीने अपनी अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करनी होती है, जिसमें प्राप्त शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई का विवरण होता है.
तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने अपनी मासिक पारदर्शिता रिपोर्ट में कहा कि गूगल ने उपयोगकर्ताओं की शिकायत के अलावा स्वचालित पहचान के आधार पर भी नवंबर 2021 में 3,75,468 सामग्रियों को हटाया. वहीं, फेसबुक ने भारत में नवंबर के दौरान 1.62 करोड़ से अधिक सामग्रियों पर कार्रवाई की जानकारी दी.
फीस लेकर जासूसी सेवाएं देने वाली ये कंपनियां इंटरनेट पर लोगों की ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने और उनकी डिवाइस व एकाउंट में सेंध लगाने का काम करती थीं. सौ देशों में अपने ग्राहकों के लिए इनके निशाने पर नेता, चुनाव अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और मशहूर हस्तियां थे. इनमें एक भारतीय फर्म भी शामिल है.
अमेरिका और ब्रिटेन में रह रहे कई रोहिंग्या शरणार्थियों ने फेसबुक पर उनके ख़िलाफ़ हेट स्पीच फैलाने के आरोप में मुक़दमा दायर किया है. कैलिफोर्निया में दायर शिकायत में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेंट की निगरानी में कंपनी के असफल रहने से हिंसा हुई, जिसका रोहिंग्या समुदाय ने सामना किया.
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा कि कई रिपोर्ट आ चुकी हैं कि फेसबुक के ज़रिये फैलाए जा रहे नफ़रत भरे संवाद और सामग्री, फ़र्ज़ी ख़बरों को रोकने के लिए कारगर प्रयास नहीं किए गए. इस तरह की सामग्री कम होने की बजाय बढ़ गई है. हमारी फेसबुक से मांग है कि वह इसकी स्वतंत्र जांच कराए.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फेसबुक पर हेट स्पीच और ध्रुवीकरण को लेकर कंपनी के स्टाफ ने 2018 से 2020 के दौरान कई बार चिंता जताई थी. कर्मचारियों के अलर्ट के बावजूद फेसबुक के तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रिस कॉक्स की 2019 में हुई आंतरिक समीक्षा बैठक में इन्हें कोई तवज्जो नहीं दी गई.
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से जजों के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक और अपमानजनक सामग्री को 36 घंटे के भीतर हटाने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि राजनीतिक रूप से ध्रुवीकृत माहौल में जज संगठित अभियानों के लिए आसान निशाना बन गए हैं.