विवादित कृषि क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी संख्या में किसान कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस साल 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.
तीन कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में हरियाणा की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखा था. इसी पत्र का जवाब देते हुए मलिक ने उन्हें लिखे एक पत्र में ये बातें कहीं हैं.
एक्सक्लूसिव: जिस समय किसान आंदोलन शुरू हुआ, तब वित्त मंत्रालय ने कृषि से जुड़ी खाद्य सुरक्षा मिशन, सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट घटाने को कहा था. व्यय विभाग ने राज्यों को दालें वितरित करने वाली योजना को कृषि मंत्रालय के बजट में शामिल करने पर सवाल उठाए थे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रीवा में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भूख से फायदा उठाने का एक तरह का नया व्यापार आजकल दुनिया में चल रहा है. भूख का कारोबार तब होगा, जब अनाज क़ब्ज़े में होगा.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलनरत किसानों का समर्थन करते हुए मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि आज की तारीख़ में किसानों के पक्ष में कोई भी क़ानून लागू नहीं है. इस स्थिति को ठीक करना चाहिए. जिस देश का किसान और जवान असंतुष्ट होगा, वह देश आगे बढ़ ही नहीं सकता. उस देश को कोई बचा नहीं सकता.
वीडियो: जितेंद्र यादव ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों के लिए लंगर चला रहे है. उन्होंने द वायर से आंदोलन की शुरुआत के साथ अब तक अपने अनुभव को साझा किया.
वीडियो: 24 वर्षीय नवदीप कौर मज़दूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं, जिन्हें बीते 12 जनवरी को सोनीपत में एक औद्योगिक इकाई पर हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने उन पर हत्या के प्रयास और उगाही के आरोप में तीन मामले दर्ज किए थे. कुछ दिन पहले उन्हें ज़मानत मिली है.
दलित अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर के साथ काम करने वाले मजदूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार को एक औद्योगिक इकाई के ख़िलाफ़ संगठन बनाकर विरोध करने के लिए दर्ज दो मामलों में तीन मार्च और एक मामले में 4 मार्च को ज़मानत मिल गई. 12 जनवरी को कौर की गिरफ़्तारी के बाद शिव कुमार को हिरासत में लिया गया था.
नवदीप कौर और शिव कुमार दोनों मज़दूर अधिकार संगठन के सदस्य हैं. दोनों को जनवरी में गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि दोनों कृषि क़ानून के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर लोगों को एकजुट कर रहे थे, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
नवदीप कौर मज़दूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं, जिन्हें 12 जनवरी को सोनीपत में एक औद्योगिक इकाई पर हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने उन पर हत्या के प्रयास और उगाही के आरोप में तीन मामले दर्ज किए थे.
विवादित कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर हज़ारों किसान क़रीब तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं के साथ अन्य जगहों पर भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान 26 जनवरी को किसान संगठनों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे.
वीडियो: किसान आंदोलन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है, देश के तमाम हिस्सों से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं जो इस बात की तस्दीक़ कर रही हैं. सारे किसान एकजुट हो गए हैं और उन्होंने ये फैसला कर लिया है कि जब तक तीनो कृषि क़ानून वापस नहीं होंगे तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
वीडियो: पश्चिमी उत्तर प्रदेश अब किसान आंदोलन का केंद्र बनता जा रहा है. इसकी वजह कमज़ोर पड़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी है, जिसकी स्वायत्तता को केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों द्वारा छीनने की कोशिश की जा रही है.
वीडियो: किसान आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफ़ी मज़बूत हो गया है. इस इलाके में जाट और मुस्लिम किसान एक हो गए हैं. मुज़फ़्फ़रनगर में भाजपा के ख़िलाफ़ किसानों के अंदर ग़ुस्सा देखा जा सकता है. वहां के पूरे राजनीतिक समीकरण बदल चुके हैं.
75 वर्षीय किसान जोरावर सिंह पंजाब में पिछले साल एक अक्टूबर से शुरू हुए रेल रोको अभियान के बाद से ही किसान आंदोलन से जुड़े हुए थे. नवंबर से वह दिल्ली आ गए थे. जोरावर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के सदस्य थे और प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए लोगों को इकट्ठा करते थे.