सेना द्वारा मानव ढाल बनाए गए फ़ारूक़ अहमद डार की लोकसभा चुनाव में लगी ड्यूटी

साल 2017 में 9 अप्रैल को श्रीनगर-बडगाम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान मेजर लीतुल गोगाई ने अपनी जीप के आगे फ़ारूक़ अहमद डार को मानव ढाल के तौर पर बांधकर तकरीबन 28 गांवों में घुमाया था.

क्यों मेजर गोगोई को सम्मानित करना सेना के नैतिक स्वरूप के ख़िलाफ़ है

किसी भी पेशेवर सेना के लिए उसकी प्रतिष्ठा सबसे ज़रूरी होती है पर ऐसा लगता है कि भारतीय सुरक्षा के शीर्ष पद पर बैठे लोग चाहे वे मंत्रालय में हों या सेना में, ये बात भूल गए हैं.

‘कभी मैं भी मानव ढाल बना था’

‘बचपन में मुझे भी मानव ढाल के बतौर इस्तेमाल किया गया था. मैं आज तक इस बोझ के साथ जी रहा हूं; पर आज मुझे लगता है कि इस बारे में बात करने की ज़रूरत है.’

कुलभूषण जाधव और फ़ारूक़ अहमद डार: एक देश, दो नागरिक, दो सुलूक

बीते दिनों सेना के हाथों दो भारतीय अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का शिकार हुए हैं, लेकिन भारत सरकार के अधिकारी और पूरा देश इनमें से सिर्फ एक के अधिकारों के लिए लड़ता दिख रहा है.

मेजर गोगोई को पुरस्कृत करना मानवाधिकारों का अपमान है: एमनेस्टी

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंडिया के अनुसार, अधिकारी को पुरस्कृत करने का मतलब है कि सेना निर्दयी, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार के उस कृत्य को सही ठहराना चाहती है.

युवक को जीप से बांधने वाले मेजर को क्लीन चिट की ख़बर का रक्षा मंत्रालय ने किया खंडन

पिछले महीने बड़गाम में उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने अपनी जीप के आगे एक शख़्स को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.