अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली में भाषण दे रहे थे. उन्होंने अभी बोलना शुरू ही किया था कि चार गोलियां चलाई गईं, जिनमें से एक उनके दाहिने कान को छूकर निकल गई.
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मई में एक अमेरिकी ज़िला अदालत ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के सिलसिले में वॉन्टेड पाकिस्तानी-कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राना के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. इसे राना ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में चुनौती दी थी.
बीते 8 अगस्त को एफबीआई ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा के पाम बीच में मार-ए-लागो आवास की तलाशी ली थी. अब अदालती दस्तावेज़ बताते हैं कि एफबीआई ने इस छापेमारी में गोपनीय दस्तावेज़ों के 11 सेट बरामद किए, जिनमें से चार अतिगोपनीय यानी टॉप सीक्रेट के बतौर चिह्नित हैं.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि एफबीआई ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनके फ्लोरिडा के पाम बीच में मार-ए-लागो के आवास की तलाशी ली. ट्रंप ने इस तलाशी के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया पर न्याय मंत्रालय इस बात की तफ़्तीश कर रहा है कि क्या ट्रंप ने ह्वाइट हाउस छोड़ने के बाद अपने इस आवास पर गोपनीय रिकॉर्ड छिपाए हैं.
एफबीआई की ओर से कहा गया है कि उसने इज़रायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाए गए एक हैकिंग टूल को प्राप्त कर और उसका परीक्षण किया था. एजेंसी ने कहा कि उसने किसी भी जांच के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया है. उसका कहना है कि पेगासस ख़रीदने के पीछे उसकी मंशा ‘उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ क़दम मिलाकर चलना था.
मई में भारतीय श्रमिकों के एक समूह ने बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के ख़िलाफ़ मानव तस्करी एवं मजदूरी क़ानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एक मुक़दमा दायर किया था. इसमें पिछले महीने किए गए संशोधन में कहा गया है कि संस्था ने भारत से आए सैकड़ों श्रमिकों को लालच देकर अपने मंदिरों में कम मज़दूरी पर काम करने के लिए मजबूर किया.
अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थित स्वामी नारायण मंदिर का मामला. भारतीय श्रमिकों के एक समूह ने आरोप लगाया कि उन्हें बंधक बनाकर रखा गया और मंदिर निर्माण के लिए प्रति घंटा क़रीब एक डॉलर पर काम करने के लिए मजबूर किया गया. हालांकि मंदिर प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार किया है.
जोसेफ मैकार्थी और स्टालिन दोनों दुनिया के दो अलग-अलग कोनों में भिन्न समयों और बिल्कुल उलट उद्देश्यों के लिए सक्रिय रहे हैं, लेकिन इनके कृत्यों से आज के भारत की तुलना करना ग़लत नहीं होगा.