एक संसदीय समिति ने कहा है कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक लिंग चयन निषेध अधिनियम (पीसीएंडपीएनडीटी) के तहत पिछले 25 वर्षों से दर्ज 3,158 न्यायिक मामलों में से केवल 617 मामलों में दोषसिद्धि हुई. समिति ने सिफ़ारिश की कि मामलों की सुनवाई में तेज़ी लाई जाए और निर्णय लेने में छह महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए.