90 के दशक से ही राजनीति द्वारा धर्म के संगठित और सुनियोजित उपयोग की जो प्रक्रिया आरंभ हुई 2014 के बाद उसमें और तेज़ी आई. पिछले कुछ वर्षों में तो छोटे स्थानीय धार्मिक मेलों में राष्ट्रवाद की घुसपैठ शुरू हुई है.
बिहार में नवनियुक्त शिक्षकों में से कुछ ने कहीं और नौकरी करने के लिए इस्तीफ़ा दिया है और ज़्यादातर ने कथित तौर पर पिछले छह महीनों में बिहार शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा शुरू किए गए सुधारों के कारण नौकरी छोड़ी है. शिक्षकों के इस्तीफ़े का एक अन्य कारण ग्रामीण और दूरस्थ पोस्टिंग भी है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिवों को भेजे पत्र में कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में आयोग ने पाया है कि त्योहार मनाने के कारण बच्चों को स्कूल के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों द्वारा उत्पीड़न और भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मुक्तिबोध ने आज से लगभग छह दशक पहले जो भारतीय यथार्थ अपनी कविता में विन्यस्त किया था, वह अपने ब्यौरों तक में आज का यथार्थ लगता है.
ईद मुबारक के जवाब में अक्षय तृतीया या परशुराम जयंती की बधाई देना कैलेंडरवादी धार्मिकता का प्रतीक है. हम हर जगह अपना क़ब्ज़ा चाहते हैं. ध्वनिभूमि पर, ध्वनि तरंगों पर भी, दूसरों के उपासना स्थलों पर और समाज के मनोलोक पर.
हमारी दुनिया में कितनी भी मायूसी हो, चाहे जितनी भी नफ़रत पैदा की जा रही हो, उम्मीद और प्रेम के उजालों में चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के 29 अक्टूबर के उस फैसले के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने पश्चिम बंगाल में सभी तरह के पटाखों की बिक्री, इस्तेमाल और ख़रीद पर प्रतिबंध लगा दिया था.
विशेषज्ञों ने ज़रूरी और ज़िम्मेदार यात्रा पर ज़ोर देते हुए चेतावनी दी है कि पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक कारणों से होने वाली सामूहिक सभाओं के कारण जनसंख्या घनत्व में अचानक वृद्धि से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, जिससे कुछ राज्यों में संभावित तीसरी लहर की स्थिति भयावह हो सकती है.
क्या हम पहले के मुकाबले भावनात्मक रूप से अधिक असुरक्षित हो गए हैं? क्या हमारा भाव जगत पहले की तुलना में कहीं संकुचित हो गया है? किसी भी अन्य समुदाय के त्योहार में साझेदारी करने में अक्षम या उस दिन को हथिया लेने की जुगत लगाते हुए क्या हम हीन भावना के शिकार होते जा रहे हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिले कोविड-19 के 10,787 संक्रमित नमूनों में से 771 मामले चिंताजनक स्वरूप ‘वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न’ (वीओसी) के मिले हैं. इसके अलावा दोहरे उत्परिवर्तन (डबल म्यूटेंट) वाला स्वरूप भी मिला है. हालांकि अब तक यह स्थापित नहीं हो पाया है कि मामलों में फ़िर से वृद्धि के लिए ये स्वरूप ज़िम्मेदार हैं.
देश के कुछ हिस्सों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से टीकाकरण अभियान तेज़ करने, आरटी-पीसीआर जांच बढ़ाने और जांच-निगरानी-उपचार प्रोटोकॉल को कड़ाई से लागू करने को कहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों, होली सहित अन्य पर्वों तथा पंचायत चुनाव के मद्देनज़र सभी ज़िलों को अत्यधिक सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया है. किसी भी प्रकार का जुलूस प्रशासन की अनुमति के बाद ही निकाला जा सकेगा. सुरक्षित दूरी का पालन कराने और सार्वजनिक स्थान पर मास्क लगाने जैसे दिशा निर्देशों का पालन कराने का निर्देश दिया है.
लगातार चीनी सामानों के बहिष्कार अभियान के चलते व्यापारियों ने चीन से सामान आयात करने के लिए कम आॅर्डर दिए हैं.