वन संशोधन अधिनियम: आरटीआई से खुलासा- केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की अनदेखी की

शीर्ष अदालत ने 2011 के एक फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि वन संबंधी 1996 के उसके फैसले का पालन किया जाए और राज्य 1980 के वन संरक्षण अधिनियम के तहत सभी वनों का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए ‘भू-संदर्भित जिला वन-मानचित्र’ तैयार करें. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा इन दोनों निर्णयों का पालन नहीं किया गया है.

वन संशोधन अधिनियम: सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के फैसले के मुताबिक वनों की परिभाषा कायम रखने कहा

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक अगस्त 2023 में क़ानून बन गया था. 1996 में अदालत के आदेश के अनुसार, कोई भी क्षेत्र जो जंगल के शब्दकोशीय अर्थ को पूरा करता है, उसे जंगल माना जाना चाहिए और 1980 के वन संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित किया जाना चाहिए, भले ही वह आधिकारिक तौर पर जंगल के रूप में दर्ज न हो.