क्रांतिकारी राजनारायण: जिन्होंने कहा था कि पूंजीपति कहीं हों उन्हें मिटाने में कसर न रखें

आज़ादी की लड़ाई के सिपाही राजनारायण मिश्र ने कहा था कि हमें दस आदमी ही चाहिए, जो त्यागी हों और देश की ख़ातिर अपनी जान की बाज़ी लगा सकें. कई सौ आदमी नहीं चाहिए जो लंबी-चौड़ी हांकते हों और अवसरवादी हों.

जब बंगाल में ऐसी धोतियां फैशन में थीं जिनके किनारों पर ‘खुदीराम बोस’ लिखा रहता था

शहादत दिवस पर विशेष: सामान्य युवा इतना भले ही जानते हैं कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ने देश को सरदार भगत सिंह जैसा शहीद-ए-आज़म दिया, लेकिन सबसे कम उम्र के शहीद के बारे में कम ही लोग जानते हैं.

लेखक ने आपातकाल में जेल में रहने को लेकर महाराष्ट्र सरकार से पेंशन लेने से किया इनकार

मराठी लेखक विनय हार्दिकर ने सवाल उठाया कि आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिए गए लोगों की तुलना में आरएसएस के कार्यकर्ता अधिक थे. क्या सरकार उन्हें नकद पुरस्कार देना चाहती है.

रामप्रसाद बिस्मिल: जिन्होंने क्रांति के लिए हथियार अपनी लिखी किताबों से मिले रुपयों से ख़रीदे थे

जयंती विशेष: ‘बिस्मिल’ से मिलने गोरखपुर जेल पहुंचीं उनकी मां ने डबडबाई आंखें देखकर उनसे पूछा-तुझे रोकर ही फांसी चढ़ना था तो क्रांति की राह क्यों चुनी?

क्या सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने वालों को स्वतंत्रता सेनानी कहा जा सकता है?

आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिए जाने के महाराष्ट्र की भाजपा सरकार के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है.

मै नास्तिक क्यों हूं?

मेरे एक दोस्त ने मुझे प्रार्थना करने को कहा. जब मैंने उसे नास्तिक होने की बात बताई तो उसने कहा, ‘अपने अंतिम दिनों में तुम विश्वास करने लगोगे.’ मैंने कहा, ‘नहीं, प्यारे दोस्त, ऐसा नहीं होगा. मैं इसे अपने लिए अपमानजनक तथा भ्रष्ट होने की बात समझता हूं. स्वार्थी कारणों से मैं प्रार्थना नहीं करूंगा.’