दिल्ली विश्वविद्यालय ने फ़िलिस्तीनी कविताओं पर कार्यक्रम को रद्द किया

इस संबंध में आयोजकों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जब रजिस्ट्रार से कार्यक्रम को अचानक रद्द करने का कारण पूछा गया, तो उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं दिया गया. जबकि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आर्ट्स फैकल्टी के डीन से पूर्व में ही लिखित अनुमति ले ली गई थी, और उस कक्ष में कोई अन्य कार्यक्रम भी प्रस्तावित नहीं था.

मीडिया मंचों के ख़िलाफ़ एकपक्षीय निषेधाज्ञा अपवाद होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने ब्लूमबर्ग-ज़ी मामले की सुनवाई में कहा कि किसी लेख के प्रकाशन के ख़िलाफ़ ट्रायल से पहले निषेधाज्ञा देने से लेखक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जनता के जानने के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

डिजिटल उपकरणों की ज़ब्ती हो या स्पायवेयर से सुरक्षा, सार्थक क़ानूनी प्रक्रिया वक़्त की ज़रूरत है

किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से असल में क्या चाहिए और इसे मांगने का कारण स्पष्ट रूप से लिखित रूप में बताया जाना चाहिए. हालांकि, भारत में पुलिस या एजेंसियों द्वारा ऐसी किसी प्रणाली का पालन नहीं किया जाता है.

पत्रकारों के डिजिटल उपकरण ज़ब्त करने के लिए उचित दिशानिर्देशों की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल द्वारा क़ानूनी एजेंसियों द्वारा 'अनुचित दखल' के ख़िलाफ़ सुरक्षा उपाय देने और डिजिटल उपकरणों की तलाशी और ज़ब्ती के लिए व्यापक दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका सुनते हुए जस्टिस एसके कौल ने कहा कि यह गंभीर मामला है. मीडिया पेशेवरों के स्रोत और अन्य चीज़ें होंगी. कुछ दिशानिर्देश होने चाहिए.

इंदिरा गांधी नरेंद्र मोदी जितनी ‘भाग्यशाली’ होतीं, तो उन्हें इमरजेंसी की ज़रूरत नहीं पड़ती!

इंदिरा गांधी यदि नरेंद्र मोदी की तरह बिना आपातकाल वैसे हालात पैदाकर लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को अंजाम दे सकतीं, तो भला आपातकाल का ऐलान क्यों करातीं?

क्यों बीबीसी पर आयकर छापा भारतीय मीडिया के लिए गंभीर ख़तरे का संकेत है

वीडियो: बीते दिनों बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के बाद संस्थान के दफ़्तर पहुंचे आयकर विभाग और उद्योगपति गौतम अडानी के कारोबार को लेकर सवाल उठाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े विवाद को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की बातचीत.

अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्या कश्मीर में पत्रकारिता मना है?

वीडियो: अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद कश्मीर में पत्रकारों की क्या स्थिति है, वे किन हालात में काम कर रहे हैं, क्या वे सुरक्षित महसूस करते हैं? इन विषयों को लेकर कश्मीर के कुछ पत्रकारों से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

सरकार का पत्रकारिता पर हुक्म चलाना ख़तरनाक है: सिद्धार्थ वरदराजन

केरल सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता का कमज़ोर होना लोकतंत्र के पतन को दर्शाता है. 

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री: जर्मनी ने भारत से प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने का आह्वान किया

गुजरात दंगों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका से संबंधित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत में चल रहे विवाद के बीच जर्मनी के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि भारत का संविधान मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता को स्थापित करता है. इसमें प्रेस और भाषण की स्वतंत्रता भी शामिल हैं. जर्मनी पूरी दुनिया में इन मूल्यों के लिए खड़ा है.

यदि एंकर नफ़रती भाषण का हिस्सा बनता है, तो उसे प्रसारण से क्यों नहीं हटाया जा सकता: अदालत

सुप्रीम कोर्ट ने टीवी समाचार सामग्री पर नियामकीय नियंत्रण की कमी पर अफ़सोस जताते हुए कहा कि नफ़रत फैलाने वाले भाषण एक ‘बड़ा ख़तरा’ हैं. भारत में ‘स्वतंत्र एवं संतुलित प्रेस’ की ज़रूरत है. अदालत ने कहा कि आजकल सब कुछ टीआरपी से संचालित होता है. चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं.

केरल: विवाद के बाद राज्यपाल कार्यालय ने कहा- किसी चैनल को प्रेस वार्ता में आने से नहीं रोका

केरल के राज्यपाल कार्यालय द्वारा सोमवार को संवाददाता सम्मेलन कवर करने पहुंचे चार टीवी चैनलों के राजभवन में प्रवेश पर रोक की ख़बर पर कार्यालय ने सफाई दी है कि कुछ मीडियाकर्मियों को साक्षात्कार के लिए एक ही समय दिया गया था, जिसे संवाददाता सम्मलेन समझ लिया गया. 

केरल राज्यपाल कार्यालय में चार टीवी चैनल पर प्रतिबंध, दलों और पत्रकार संगठनों ने विरोध जताया

केरल के राज्यपाल कार्यालय ने सोमवार को राज्यपाल का संवाददाता सम्मेलन कवर करने के लिए चार टेलीविजन चैनल - ‘कैराली’, ‘रिपोर्टर’, ‘मीडिया वन’ और ‘जयहिंद’ - के राजभवन में प्रवेश करने पर रोक लगा दी. विभिन्न राजनीतिक दलों और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयू डब्डल्यूजे) ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है.

हेट स्पीच पर मोदी सरकार चुप है क्योंकि वही इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी है

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की बात करके देश की दुखती नब्ज़ पर हाथ रखा है, लेकिन जहां तक उसके 'केंद्र के मूकदर्शक बने बैठने' वाले सवाल की बात है, तो यह पूछने वाले को भी पता है और देश भी जानता है कि ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि सरकार व उसे चला रही पार्टी ही हेट स्पीच की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं.

टीवी और सोशल मीडिया पर हेट स्पीच से निपटने के लिए संस्थागत प्रणाली लाने की ज़रूरत: कोर्ट

विभिन्न टीवी चैनलों पर नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे ‘मूक दर्शक’ बने रहने की बजाय इस समस्या से निपटने के बारे में सोचना चाहिए.

पत्रकारों ने कहा- मीडियाकर्मियों पर एफ़आईआर और छापे प्रेस को बुरी तरह प्रभावित करेंगे

ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी का उल्लेख करते हुए दिल्ली के सात मीडिया संगठनों ने कहा कि सरकार का पत्रकारों को निशाना बनाना पूरे पेशे के भविष्य के लिए ख़तरनाक है.

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