'समय के साथ मैंने अपनी पहचान छुपाना शुरू कर दिया है. जब कोई मुझसे पूछता है कि आप कहां से हैं, तो मैं कहती हूं- यहीं दिल्ली से.’
महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की आलोचना करने और पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने के चलते एफआईआर दर्ज की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू कश्मीर की स्थिति में किए गए बदलाव की आलोचना करने का हक़ है.
सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों के समूह-कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने एक बयान जारी कर कहा है कि यूएपीए के तहत 'ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों' के अपराधीकरण को बनाए रखते हुए आईपीसी की धारा 124ए यानी राजद्रोह को हटाने से केंद्र सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ पार्टी को पर्याप्त राजनीतिक लाभ मिलेगा.
ग्रैफिटी कलाकार निलिम महंत और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील इबो मिली को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार 'कुछ उचित प्रतिबंधों' के साथ आता है. कोर्ट ने उन्हें दीवार के उस हिस्से को फिर से पेंट करने का भी निर्देश दिया है, जिसे विरूपित किया गया था.
यूट्यूब व्लॉगर कार्ल रॉक नाम से मशहूर कार्ल एडवर्ड राइस को भारत में प्रवेश के लिए वीज़ा से इनकार करने के साथ उनका नाम काली सूची में डाल दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने वीज़ा नियमों एवं शर्तों का उल्लंघन किया है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें पर्यटन वीज़ा पर कारोबारी गतिविधियां करते और अन्य वीज़ा नियमों का उल्लंघन करते पाया गया है.
ये मामला हिमाचल सिंह नामक एक पीएचडी छात्र से जुड़ा हुआ है, जिन्हें पिछले साल एक शिक्षक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल करने के चलते एक सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया गया था. कोविड-19 महामारी बाद कैंपस खुलने पर उन्हें छह शर्तों के साथ पढ़ने की अनुमति दी गई है. छात्र ने आईआईटी प्रशासन के इस आदेश को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
साल 2017 में तमिलनाडु के तिरुनेलवेली ज़िला कलेक्टर कार्यालय में साहूकार द्वारा अत्यधिक ब्याज की मांग से परेशान होकर एक ही परिवार के चार सदस्यों ने आत्मदाह कर लिया था. कार्टूनिस्ट बालामुरुगन ने एक कार्टून बनाया था, जिसमें तत्कालीन ज़िला कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मूकदर्शक बनकर घटना को देख रहे थे और उनके निजी अंग नोटों से ढके हुए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिरोध के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है और सरकार के क़ानून व्यवस्था की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है.