आईआईटी गुवाहाटी ने ‘धरना नहीं देने’ की शर्त पर एक पीएचडी छात्र को पढ़ाई करने की अनुमति दी

ये मामला हिमाचल सिंह नामक एक पीएचडी छात्र से जुड़ा हुआ है, जिन्हें पिछले साल एक शिक्षक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल करने के चलते एक सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया गया था. कोविड-19 महामारी बाद कैंपस खुलने पर उन्हें छह शर्तों के साथ पढ़ने की अनुमति दी गई है. छात्र ने आईआईटी प्रशासन के इस आदेश को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

ये मामला हिमाचल सिंह नामक एक पीएचडी छात्र से जुड़ा हुआ है, जिन्हें पिछले साल एक शिक्षक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल करने के चलते एक सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया गया था. कोविड-19 महामारी बाद कैंपस खुलने पर उन्हें छह शर्तों के साथ पढ़ने की अनुमति दी गई है. छात्र ने आईआईटी प्रशासन के इस आदेश को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

आईआईटी गुवाहाटी. (फोटो साभार: https://www.iitg.ac.in/)

नई दिल्ली: आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन द्वारा अपने एक पीएडी छात्र को प्रताड़ित करने मामला सामने आया है, जहां संस्थान ने छात्र से एक शपथ पत्र लिया है कि वे आगे से किसी भी ‘धरना प्रदर्शन’ में शामिल नहीं होंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चौथे वर्ष के पीएचडी छात्र 30 वर्षीय हिमाचल सिंह पर ये कार्रवाई की गई है और छह बिंदुओं पर एक शपथ पत्र देने की शर्त पर उन्हें पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी गई है.

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के एक शिक्षक ब्रजेश राय की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के विरोध में पिछले साल चार से सात जनवरी तक हिमाचल सिंह ने अपने साथी छात्रों के साथ भूख हड़ताल की थी, जिसके चलते उन्हें एक सेमेस्टर के लिए उनकी पढ़ाई से वंचित कर दिया गया था.

शिक्षक ब्रजेश राय ने आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे, जिसके बाद उन्हें ‘कदाचार’ और ‘संस्थान के लोगों को बदनाम करने’ के आरोप में एक जनवरी, 2020 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी.

इस मामले को लेकर जब हिमाचल सिंह ने भूख हड़ताल की तो एक दस सदस्यीय अनुशासन समिति ने आदेश दिया कि उन्हें एक सेमेस्टर के लिए निलंबित किया जाए. एनआईटी पटना से एमटेक करने वाले सिंह को हॉस्टल मामलों के बोर्ड के महासचिव पद से भी निलंबित कर दिया गया था.

बाद में कोविड-19 के चलते अन्य छात्रों की तरह हिमाचल सिंह भी कैंपस छोड़कर चले गए थे, लेकिन इस साल के शुरुआत में जब पीएचडी छात्रों के लिए आईआईटी गुवाहाटी खुला तो कथित तौर पर उनसे हॉस्टल खाली करने को कहा गया.

इसके बाद आठ मार्च को रजिस्ट्रार प्रोफेसर एसएम सुरेश ने उन्हें एक पत्र भेजा, जिसमें छह तरह की शर्तें दर्ज थीं और कहा गया था कि यदि वे इस पर हस्ताक्षर करते हैं, तभी संस्थान में उन्हें पढ़ने की इजाजत दी जाएगी.

इन शर्तों में कोई धरना प्रदर्शन न करना, सोशल मीडिया पर संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली बातें न लिखना, अपने कार्यों के लिए मांफी मांगना और आगे से ऐसा कुछ न करने जैसी बातें लिखी हुई है.

आईआईटी गुवाहाटी ने कहा कि यदि हिमाचल सिंह इन शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें नोटिस दिए बिना संस्थान से निष्काषित कर दिया जाएगा.

हिमाचल सिंह ने इसे गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि इस तरह की शर्तें लगाना संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा संस्थान किसी भी छात्र को महज अपना विचार रखने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के चलते निष्काषित नहीं कर सकता है.

सिंह ने कहा कि वे इसलिए धरने पर बैठे थेए क्योंकि एक ऐसे शिक्षक को ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ देना उन्हें अच्छा नहीं लगा, जो कि गलत कार्यों के खिलाफ हमेशा से आवाज उठाते आए थे.

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वह चाहते थे कि उनका संस्थान सकारात्मक दिशा में विकसित हो और न्याय, निष्पक्षता और सच्चाई का संरक्षक बने.

हिमाचल सिंह ने अदालत को बताया कि आईआईटी गुवाहाटी ने उनसे संस्थान को बदनाम करने के लिए माफी मांगने के लिए कहा है, जबकि उन्हें वह सामग्री भी प्रदान नहीं की, जिसे संस्थान मानहानिकारक मानता है.

पिछले साल आईआईटी-मद्रास के एक जर्मन छात्र को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में कथित रूप से भाग लेने के लिए देश छोड़ने को कहा गया था.

केंद्र ने बाद में उनके छात्र वीजा को रद्द कर दिया था, जिससे उन्हें आईआईटी-मद्रास में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए देश में फिर से प्रवेश करने से रोक दिया गया था.