कांग्रेस की ओर से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी के 'विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह-2024’ का हिस्सा बनकर दल में शामिल होने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पार्टी की ढांचागत समस्याओं को दूर करने के लिए उनसे ज़्यादा ज़रूरत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की है.
जी-23 के बैनर तले असंतुष्ट खेमे के पुराने वफ़ादार नेताओं के साथ सोनिया गांधी से संवाद की कड़ियां भले ही जुड़ गई हों पर लाख टके का सवाल यह है कि बीच का रास्ता निकालने के फार्मूलों से क्या कांग्रेस के अस्तित्व को लेकर पैदा हुआ संकट टल सकेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस निर्देश के कुछ देर बाद ही उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपने त्याग-पत्र की घोषणा की है. हालांकि, पार्टी ने इन पांच चुनावी राज्यों के महासचिवों और प्रभारियों को इस्तीफ़ा देने के लिए नहीं कहा है.
कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने अपनी किताब ‘10 फ्लैश पॉइंट्स: 20 ईयर्स - नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन दैट इम्पैक्टेड इंडिया’ में लिखा है कि कई बार संयम कमज़ोरी की निशानी होती है और भारत को 26/11 हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी. इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रख दिया था.
भाजपा में शामिल होने की अटकलों को नकारते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह ऐसी पार्टी में नहीं रह सकते, जहां उनका अपमान हो और उन पर विश्वास न किया जाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीचे की ओर जा रही है. वरिष्ठ नेताओं की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है. कांग्रेस नेतृत्व को ‘जी 23’ नेताओं की बात सुननी चाहिए.
कांग्रेस अब भी राष्ट्रीय राजनीति में मायने रखती है, लेकिन उसे वक़्त के हिसाब से ख़ुद को नया रूप देते हुए धर्मनिरपेक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि पार्टी में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है. उम्मीदवारों की सूची के बारे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के साथ कोई चर्चा नहीं की गई. इसके बाद पार्टी के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में कोई गुटबाज़ी नहीं है, पार्टी एक है.