बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को बीते 27 अप्रैल को रिहा कर दिया गया था. कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में जेल नियमों में संशोधन को चुनौती दी है.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को रिहा कर दिया गया है. इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं कृष्णैया की पत्नी ने अपनी याचिका में कहा है कि आजीवन कारावास की सज़ा का मतलब पूरे जीवन का कारावास है और इसकी व्याख्या 14 साल के कारावास में तब्दील नहीं की जा सकती है.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया के हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह को गुरुवार को रिहा कर दिया गया. कृष्णैया की बेटी पद्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि ऐसा क़ानून लाएं ताकि ऐसे गैंगस्टर और माफिया बिहार या किसी अन्य राज्य में खुलेआम न घूम सकें.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद रिहा होने वाले क़ैदियों में पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह भी हैं, जिन्हें साल 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन ज़िलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था. कृष्णैया की पत्नी के साथ आईएएस एसोसिएशन ने भी सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं.
बिहार जेल नियमों में संशोधन के कुछ दिनों बाद बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 27 क़ैदियों की रिहाई की अधिसूचना जारी की है. रिहा होने वालों में पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह भी हैं, जिन्हें 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन ज़िलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या मामले में दोषी ठहराया गया था.