अवध: कभी सूबे का नाम था, मगर अब तहज़ीब ही पहचान है

अवध क्षेत्र का दुर्भाग्य कि सूबे के रूप में उसे कुल साढ़े तीन सौ साल की उम्र भी नसीब नहीं हुई. यह और बात है कि इसी अवधि में उसने देश-दुनिया को ऐसी लासानी गंगा-जमुनी तहज़ीब दी, जिसकी महक है कि उसके दुश्मनों की तमाम कोशिशों के बावजूद जाती ही नहीं.

जोश मलीहाबादी: काम है मेरा तग़य्युर नाम है मेरा शबाब, मेरा नारा इंक़लाब ओ इंक़लाब…

जन्मदिन विशेष: हर बड़े शायर की तरह जोश मलीहाबादी को लेकर विवाद भी हैं और सवाल भी, लेकिन इस कारण यह तो नहीं ही होना चाहिए था कि आलोचना अपना यह पहला कर्तव्य ही भूल जाए कि वह किसी शायर की शायरी को उसकी शख़्सियत और समय व काल की पृष्ठभूमि में पूरी ईमानदारी से जांचे.

गंगा-जमुनी तहज़ीब रिवाज नहीं आत्मसात करने की बात है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

हापुड़ ज़िले में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के समर्थकों के बीच हिंसा भड़काने के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि गंगा जमुनी तहज़ीब की संस्कृति महज़ मतभेदों को बर्दाश्त करना नहीं है, बल्कि यह विविधता को आत्मसात करने की चीज़ है.