पहलवानों के हालिया आंदोलन में न केवल कुश्ती बल्कि भारतीय खेल संस्कृति के भविष्य को मोड़ने की ताक़त है. हालांकि, आंदोलन की क़रीबी पड़ताल करें तो एक तरफ़ ये आंदोलन राज्य की पितृसत्ता का विरोध कर रहा है, लेकिन साथ ही जातिगत पितृसत्ता के साथ खड़ा मिलता है.
पुलिस बलों की भारी मौजूदगी में शुरू हुई रैली. कई विश्वविद्यालयों के छात्र मौजूद.
'किसी समाज व शासन की सफलता इस तथ्य से समझी जानी चाहिए कि वहां नारी व प्रकृति कितनी संरक्षित व पोषित है, उन्हें वहां कितना सम्मान मिलता है.'
पितृसत्ता का प्रभाव देश के ज़्यादातर नागरिकों पर ही नहीं, बल्कि सरकार, प्रशासन और न्यायपालिका जैसे संस्थान भी इसके असर से बचे हुए नहीं हैं, जिन पर लैंगिक न्याय स्थापित कराने का दायित्व है.