बिलकीस बानो मामला: अदालत दोषियों को माफ़ी देने के ख़िलाफ़ दायर नई याचिका पर सुनवाई को तैयार

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से एक याचिका दायर किया है, जिसमें बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.

बिलक़ीस मामला: केंद्रीय मंत्री ने दोषियों की सज़ा माफ़ी और रिहाई को सही ठहराया

बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी और रिहाई के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि 'जो भी हुआ है, क़ानून के अनुसार हुआ है.' वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार द्वारा दायर जवाब को 'बोझिल' बताते हुए कहा कि इसमें तथ्यात्मक बयान गुम हैं.

बिलकीस मामले के दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र की मंज़ूरी को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?

बिलक़ीस बानो मामले के दोषियों को केंद्र की मंज़ूरी से रिहा किया गया: गुजरात सरकार

सुप्रीम कोर्ट में बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा है कि इस क़दम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी. सरकार के हलफ़नामे के अनुसार, सीबीआई, स्पेशल क्राइम ब्रांच, मुंबई और सीबीआई की अदालत ने सज़ा माफ़ी का विरोध किया था.

बिलक़ीस बानो के समर्थन में पदयात्रा को लेकर मैग्सेसे विजेता संदीप पांडे को हिरासत में रखा गया

गुजरात पुलिस ने संदीप पांडे समेत सात एक्टिविस्ट को 25 सितंबर की देर रात इसलिए हिरासत में ले लिया, क्योंकि वे अगले दिन गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कर का शिकार हुईं बिलक़ीस बानो के समर्थन में और उनके दोषियों की समयपूर्व रिहाई के विरोध में एक पदयात्रा निकालने वाले थे.

बिलक़ीस मामले के प्रमुख गवाह ने रिहा हुए दोषी से जान को ख़तरा बताते हुए सीजेआई को पत्र लिखा

गुजरात सरकार द्वारा इसकी क्षमा नीति के तहत बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को समयपूर्व रिहा किया गया है. इस मामले में प्रमुख गवाह रहे एक शख़्स ने आरोप लगाया है कि रिहा हुए एक दोषी ने उन्हें मारने की धमकी दी है.

गुजरात दंगा: साक्ष्य गढ़ने के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दाख़िल

गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके, जो मौत की सज़ा के साथ दंडनीय हो.

बिलक़ीस मामले के दोषियों की रिहाई संबंधित रिकॉर्ड दो सप्ताह में पेश करे गुजरात सरकार: कोर्ट

गुजरात सरकार द्वारा इसकी क्षमा नीति के तहत बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

जेल से बाहर आने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ का पहला साक्षात्कार

वीडियो: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए जून महीने में गिरफ़्तार किया  गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बीते शनिवार को साबरमती जेल से रिहा किया गया है. उनसे बातचीत.

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ गिरफ़्तारी के क़रीब दो महीने बाद जेल से बाहर आईं

गुजरात की साबरमती जेल से रिहा किए जाने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को ज़मानत की औपचारिकताओं के लिए सत्र न्यायालय में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें बिना अनुमति देश नहीं छोड़ने को कहा है. सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए बीते जून महीने में गिरफ़्तार किया  गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम ज़मानत दी

गुजरात पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को बीते जून महीने में साल 2002 के गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए गिरफ़्तार किया था. 

बिलक़ीस की इंसाफ़ की लड़ाई अब देश की ज़िम्मेदारी है

2002 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़ीस मामले में शामिल होने का फैसला किया था क्योंकि उसे पता था कि गुजरात सरकार बलात्कारियों और हत्यारों को बचा रही है. बीस साल बाद भी कुछ नहीं बदला है.

सुप्रीम कोर्ट ने ‘अप्रासंगिक’ बताते हुए गुजरात दंगों से जुड़ीं 11 याचिकाओं को बंद किया

प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में स्वतंत्र जांच के लिए क़रीब 20 वर्ष पहले दायर 11 याचिकाओं को बंद करते हुए कहा कि कहा कि अब इन याचिकाओं में निर्णय के लिए कुछ नहीं बचा है.

पूर्व नौकरशाहों ने सीजेआई से बिलक़ीस बानो मामले में ‘ग़लत फैसले को सुधारे’ जाने का आग्रह किया

पूर्व नौकरशाहों द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि शीर्ष अदालत ने इस मामले को इतना ज़रूरी क्यों समझा कि दो महीने के भीतर फैसला लेना पड़ा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की जांच गुजरात की 1992 की माफ़ी नीति के अनुसार की जानी चाहिए, न कि इसकी वर्तमान नीति के अनुसार.

बिलक़ीस मामला: दोषियों की सज़ा माफ़ी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व गुजरात सरकार को नोटिस भेजा

बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने जो किया, उसके लिए उन्हें सज़ा मिली. सवाल यह है कि क्या वे सज़ा माफ़ी के हक़दार हैं और क्या यह माफ़ी क़ानून के मुताबिक़ दी गई.

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