नगा राजनीतिक मुद्दों पर भारत सरकार से बात कर रहे राष्ट्रीय नगा राजनीतिक समूह का आरोप है कि नगालैंड भाजपा अध्यक्ष के समाधान-विरोधी रुख़ ने नगा राजनीतिक वार्ता की प्रगति को बाधित किया है. वहीं, इससे पहले ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने भी घोषणा की थी कि वे किसी भी चुनाव में तब तक शामिल नहीं होंगे, जब तक कि उनकी अलग फ्रंटियर नगालैंड राज्य बनाने की मांग को स्वीकार नहीं कर लिया जाता.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और वायुसेना को निर्देश दिया कि वे शॉर्ट सर्विस कमीशन की 32 सेवानिवृत्त महिला अधिकारियों को पेंशन लाभ देने के उद्देश्य से उनकी स्थायी कमीशन देने पर विचार करें. पीठ ने हालांकि, इस आधार पर उनकी सेवा बहाली का आदेश देने से इनकार कर दिया कि उन्हें 2006 और 2009 के बीच सेवा से मुक्त कर दिया गया था.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.
शीर्ष अदालत कुछ महिला अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस साल 25 मार्च के अदालत के निर्णय के बाद भी उन्हें स्थायी कमीशन न देने के लिए सेना के ख़िलाफ़ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी. कोर्ट द्वारा अवमानना कार्रवाई को लेकर चेताने के बाद सेना ने कहा कि वह सभी योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देगी.
ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.
शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे समाज का ढांचा पुरुषों ने पुरुषों के लिए ही बनाया है, जहां समानता की बात एक स्वांग है और आज़ादी के बाद से पुरुषों तथा महिलाओं के बीच की खाई भरने तथा उन्हें समान अवसर देने की कोशिशें की गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के आदेश का पालन नहीं करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की और सेना में स्थायी कमीशन का चुनाव करने वाली सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन का आदेश दिया.
सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को उनकी शारीरिक सीमाओं के आधार पर स्थायी पदों से वंचित रखने का मामला. भारतीय सेना में सेवारत महिला अधिकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा के सुप्रीम कोर्ट में दिए गए तर्क का विरोध किया है.