राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने कागज़ और छपाई की गुणवत्ता जांच का हवाला देते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी स्कूलों से कक्षा 9 से 12 तक की चार पाठ्यपुस्तकों की सभी प्रतियां वापस मंगाएं. इनमें से एक किताब में 2002 के गोधरा कांड से जुड़ा अध्याय शामिल है.
महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने एक गजट अधिसूचना में कहा है कि ऐसे निजी स्कूल जो सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में आते हैं, वे वंचित समूह और कमज़ोर वर्ग के छात्रों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कोटे के तहत एडमिशन देने के लिए बाध्य नहीं होंगे. कुछ लोगों ने नियमों में इस बदलाव के लिए राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं.
कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते मई महीने में लगभग 32,000 उम्मीदवारों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं, जिन्होंने 2016 में चयन प्रक्रिया के माध्यम से प्राथमिक शिक्षक के रूप में भर्ती के समय अपना प्रशिक्षण पूरा नहीं किया था. साथ ही राज्य को पदों को भरने के लिए नई भर्ती शुरू करने का भी निर्देश दिया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड की 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं होने पर यह निर्णय दिया. अदालत ने कहा कि ईडी की जांच से धीरे-धीरे यह सामने आ रहा है कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नौकरियां वास्तव में कुछ उम्मीदवारों को बेची गईं, जिनके पास रोज़गार ख़रीदने के लिए पैसे थे.
स्कूलों के हालात को लेकर जारी एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि देश में 2.9 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं थी, वहीं 21 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की सुविधा तो थी, लेकिन वे प्रयोग करने योग्य नहीं थे. यानी क़रीब 23.9 फीसदी स्कूलों में विद्यार्थी शौचालय की सुविधा से महरूम हैं.
लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह सच है कि हमारे बच्चों के परिवारों की आजीविका को बहुत बुरे संकट का सामना करना पड़ा है. लेकिन अब जैसे-जैसे बच्चे स्कूलों में वापस आ रहे हैं, उन्हें और भी बेहतर पोषण की आवश्यकता है. यही नहीं, मिड-डे मील से उन बच्चों को वापस स्कूल लाने में भी मदद मिलेगी, जो महामारी के दौरान स्कूल छोड़ चुके हैं.
राइट टू एजुकेशन फोरम का कहना है कि बजट के आधे-अधूरे और अदूरदर्शी प्रावधान बताते हैं कि सरकार स्कूली शिक्षा को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं है. डिजिटल लर्निंग और ई-विद्या संबंधी प्रस्ताव निराशाजनक हैं, जिनसे वंचित वर्गों समेत अस्सी फीसदी बच्चों के स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर होने का ख़तरा मंडरा रहा है.