गुजरात के गांधीनगर में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित भारत माता के मंदिर में मूर्ति स्थापना समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि अगर अगले 1,000-2,000 वर्षों में हिंदुओं की संख्या कम हो जाती है और दूसरे धर्म के लोगों की संख्या बढ़ जाती है, तो कोई अदालत नहीं होगी, लोकसभा, संविधान, धर्मनिरपेक्षता, ये सब कुछ हवाहवाई हो जाएगा, कुछ भी नहीं रहेगा.
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा था कि यह क़ानून अंतरधार्मिक विवाह पर प्रतिबंध नहीं लगाता है. इस पर न्यायालय ने कहा कि संशोधित क़ानून की भाषा स्पष्ट नहीं है, नतीजतन अंतरधार्मिक विवाह करने वालों पर हमेशा तलवार लटकती रहेगी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात शाखा ने पिछले महीने एक याचिका में कहा था कि क़ानून की कुछ संशोधित धाराएं असंवैधानिक हैं.
वीडियो: देश में धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फ़िर सुर्खियों में है. यह एक ऐसा विषय है जिस पर समय दर समय राजनीति होती रहती है. इस मसले पर राजनीति शास्त्री नीरा चंडोक से बात कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की क़ैद की सज़ा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में इसी तरह के क़ानून पहले से ही प्रभावी हैं.
गुजरात के वडोदरा शहर का मामला. महिला के परिवार ने राज्य में हाल ही में पारित धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 के तहत जबरन धर्मांतरण का मामला दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन महिला ने आरोप से इनकार कर दिया. इसके बाद परिवार को शिकायत वापस लेनी पड़ी.
गुजरात विधानसभा ने ‘गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021’ को मंज़ूरी दे दी. इसमें अधिकतम 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है. विधेयक के अनुसार, शादी करके या किसी की शादी कराके या शादी में मदद करके जबरन धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल तक की क़ैद की सजा सुनाई जा सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.