द हिंदू के वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के ख़िलाफ़ पहली एफआईआर कथित जीएसटी चोरी के मामले में दर्ज की गई थी और दूसरी गुजरात मैरीटाइम बोर्ड से संबंधित कथित ‘संवेदनशील’ दस्तावेज़ों की ‘चोरी’ के लिए. अब एक व्यवसायी द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद तीसरी एफआईआर दर्ज की गई है.
कथित जीएसटी चोरी मामले में गिरफ़्तार वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के ख़िलाफ़ गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के गोपनीय दस्तावेज़ रखने के आरोप में भी एक केस दर्ज है. इस पर मीडिया निकायों ने कहा कि पत्रकारों को काम के दौरान संवेदनशील दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है, इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई शुरू करना चिंताजनक है.
कथित जीएसटी चोरी मामले में गिरफ़्तार द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक महेश लांगा के ख़िलाफ़ गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप में भी एक मामला दर्ज है. अख़बार के संपादक सुरेश नंबथ ने कहा है कि पत्रकारों को अपने काम के दौरान गोपनीय दस्तावेजों को देखना/पढ़ना होता है. इसके लिए उनके ख़िलाफ़ आरोप दायर करना जनहित को नुकसान पहुंचाना है.
तीन हफ़्तों से मामले की सुनवाई कर रहीं जज रेवती मोहिते डेरे ने सीबीआई के कामकाज पर भी नाराज़गी व्यक्त की थी. अब मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की एकल पीठ करेगी.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में कार्यवाही कर रहे जज लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में 1 दिसंबर, 2014 को मौत हो गई थी.
मीडिया बोल की 25वीं कड़ी में उर्मिलेश, द कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज के साथ जज लोया की मौत के मामले पर चर्चा कर रहे हैं.
सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत और न्यायपालिका पर उनके परिवार द्वारा उठाए गए सवालों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार अरुण शौरी का नज़रिया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार अरुण शौरी से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
‘जज लोया के मामले में आरोप न्यायपालिका के लिए बहुत ही ख़तरनाक हैं. क़ानून और व्यवस्था के रखवाले ही अगर ये करते हैं तो हम कहां जाएंगे?’
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस का मानना है कि जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत के बारे जांच ज़रूरी है क्योंकि ऐसे मामले में लगे आरोप न्यायपालिका की साख कलंकित कर सकते हैं.
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मौत पर द कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
सीबीआई कोर्ट में मामले को सुन रहे जज बृजगोपाल लोया के परिजनों का कहना है कि लोया को जल्दी और मनमुताबिक फैसला देने के एवज में पैसे और ज़मीन की पेशकश की गई थी.
2014 में मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मृत्यु के बाद आए जज ने अमित शाह को बिना मुक़दमे के बरी कर दिया.
बिलकिस बानो को इंसाफ मिल पाया क्योंकि शेष भारत और देश की अन्य संस्थाओं में अभी अराजकता की वह स्थिति नहीं है, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में प्रश्रय दिया था. पर अब धीरे-धीरे यह अराजकता प्रादेशिक सीमाओं को तोड़कर राष्ट्रीय होती जा रही है.
मृतक के परिवार ने पुलिस पर हिरासत में यातना देने का आरोप लगाया है. गुजरात राज्य में नए गो-संरक्षण क़ानून के तहत यह पहला मामला दर्ज़ हुआ था.