सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति की प्रस्तावित बैठक में नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग पर रोक लगाने पर चर्चा की जाएगी. वहीं इस समिति के सदस्य और भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर को पद से हटाने की मांग की है.
वीडियो: फेसबुक के नेताओं की हेट स्पीच संबंधी पोस्ट की अनदेखी के प्रसंग से यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या जनतांत्रिकता और सामाजिकता के नाम पर वैश्विक स्तर पर ये प्लेटफॉर्म इन्हीं को नुकसान पहुंचा रहे हैं? इस बारे में मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार और पत्रकार सिद्धार्थ से बात कर रहे हैं उर्मिलेश.
कांग्रेस ने अपने पत्र में कहा है कि वॉल स्टीट जर्नल की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि फेसबुक इंडिया के मौजूदा नेतृत्व ने भाजपा के नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे हेट स्पीच को लेकर नरमी बरती है. यह भारत के चुनावी लोकतंत्र में फेसबुक द्वारा हस्तक्षेप है.
वीडियो: सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की उस रिपोर्ट पर विचार करेगी, जिसमें ये कहा गया है कि फेसबुक ने नाराजगी के डर से भाजपा नेता की एंटी-मुस्लिम पोस्ट पर कार्रवाई नहीं की. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में बताया था कि फेसबुक ने नाराज़गी के डर से भाजपा नेता की एंटी-मुस्लिम पोस्ट पर कार्रवाई नहीं की थी. सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने कहा है कि वे इस मामले में फेसबुक का पक्ष सुनना चाहेंगे.
अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में फेसबुक की शीर्ष अधिकारी ने भाजपा विधायक टी. राजा सिंह की पोस्ट पर फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू किए जाने का विरोध किया क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के भाजपा के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं.
साल 2011 में उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर एक प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने और उनके पांच सहयोगियों पर दूसरे समुदाय के एक युवक को प्रताड़ित करने और उनके ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज किया गया था.
समाज में मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह तो पहले से ही मौजूद था, संघ की छत्रछाया में उनके ख़िलाफ़ सतत तरीके से चलाए गए अभियान को अब लहलहाने के लिए उपजाऊ ज़मीन मिल गई है.
सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेताओं के नफ़रत भरे भाषण देने पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए याचिका लगाई गई है. इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंदर के एक पुराने भाषण के अंश का हवाला देते हुए उसे हिंसा भड़काने वाला कहा है.
भगवा रंग की टी-शर्ट और कुर्ते पहने पांच से छह व्यक्तियों ने उस समय नारे लगाने शुरू कर दिए जब ट्रेन राजीव चौक स्टेशन पर रुकने ही वाली थी. ट्रेन से उतरने के बाद भी इन लोगों ने सीएए के समर्थन में और ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो...’ जैसे नारे लगाए. सीआईएसएफ के जवानों ने इन व्यक्तियों को रोककर उन्हें दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया.
नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वाले सांसदों/विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा शासित उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में भी वृद्धि हुई है.
प्रधानमंत्री के नाम लिखे एक पत्र में रिटायर्ड नौकरशाहों ने कहा कि यह पत्र केवल सामूहिक शर्म या अपनी पीड़ा को आवाज़ देने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक जीवन में ज़बरदस्ती घुसा दिए गए घृणा और विभाजन के एजेंडा के ख़िलाफ़ लिखा गया है.
मुसलमान का डर दिखा कर हिंदू नौजवानों को बर्बाद किया जा रहा है. उनसे कहा जा रहा है कि रोज़गार मत पूछो, पढ़ाई, अस्पताल मत पूछो, बस देखो कोई मुसलमान मुख्यमंत्री न बन जाए.
आरएसएस अगर आज़ादी की लड़ाई के बारे में बात करे तो वो क्या बताएगा? अगर वो सावरकर के बारे में बताएगा तो अंग्रेजों को लिखे गए सावरकर के माफ़ीनामे सामने आ जाते हैं.
'नेता साबरमती के संत गीत की आलोचना कर बापू और अहिंसक आंदोलन के प्रति अपनी नफ़रत दिखा रहे हैं. अगर दिक्कत है तो इस गीत को प्रतिबंधित क्यों नहीं करा देते.'