बॉम्बे हाईकोर्ट उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 75 वर्ष से अधिक आयु और विशेष रूप से सक्षम लोगों को घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध किया गया है. केंद्र ने कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है. पीठ ने कहा कि जब केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऐसे अभियान चला रहे हैं तो केंद्र को क्या दिक्कत है.
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सात जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण नीति में बदलाव की घोषणा की और पुरानी नीति के लिए राज्यों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया. हालांकि ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल बताती है कि दो मुख्यमंत्रियों के बयानों को छोड़ दें, तो किसी भी राज्य ने ख़ुद वैक्सीन खरीदने की मांग नहीं की थी.
भारत में लगातार चौथे दिन एक दिन में कोविड-19 के एक लाख से कम मामले सामने आए हैं. कुल मामलों की संख्या 2,92,74,823 हो गई है और मृतक संख्या बढ़कर 3,63,079 हो गई. वहीं, दुनियाभर में संक्रमण के 17.48 करोड़ से ज़्यादा मामले आ चुके हैं और 37.73 लाख से अधिक लोगों जान गई है.
वीडियो: दिल्ली के छावला गांव में कोरोना वायरस से अब तक 30 लोगों की मौत हो गई है. इलाज तो दूर इस गांव में इसके संक्रमण की जांच तक नहीं हो रही है. द वायर की टीम ने वहां के लोगों से बात कर हालात जानने की कोशिश की.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर हो गई 29,183,121 हो गई है. बिहार में मौत के आंकड़ों में संशोधन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या 359,676 हो गई है. विश्व में संक्रमण के 17.44 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं, जबकि 37.58 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई. ग़रीब, वंचित और आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा. इसी नाते सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की ज़रूरत है.
सरकार को घर-घर टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का रुख़ सीमाओं पर खड़े होकर वायरस के आने का इंतज़ार करने की बजाय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करने जैसा होना चाहिए. एक अन्य मामले में अदालत ने सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के पास निर्धारित सात पहचान पत्र नहीं है, वे टीकाकरण के लिए क्या करें, इसके लिए क्या क़दम उठाए गए हैं.
भारत में कोरोना वायरस महामारी के कुल मामलों का आंकड़ा 29,089,069 हो गया है और इसकी चपेट में आकर अब तक 353,528 लोग जान गंवा चुके हैं. दुनिया में संक्रमण के कुल मामले 17.40 करोड़ से ज़्यादा है, जबकि 37.48 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
वीडियो: ग्रामीण क्षेत्रों में 45 से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन गांवों में इसे लेकर उत्साह और जागरूकता की कमी है. इस मुद्दे पर प्रोफेसर गगनदीप कांग से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सोमवार को घोषणा की कि 18 वर्ष से 44 साल उम्र तक के लोगों के टीकाकरण के लिए 21 जून से राज्यों को कोविड-19 का टीका मुफ्त दिया जाएगा और आगामी दिनों में देश में टीका आपूर्ति में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी.
भारत में 63 दिन बाद 24 घंटे में कोविड-19 के एक लाख से कम नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण की कुल संख्या बढ़कर 28,996,473 हो गई और मौत का आंकड़ा 3.5 लाख के पार चला गया है. महाराष्ट्र पहला राज्य है, जहां एक लाख से अधिक मौतें हुई हैं. विश्व में 17.36 करोड़ से ज़्यादा संक्रमण के मामले है, जबकि 37.38 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि 21 जून से राज्यों को 18 से 44 साल तक की उम्र के लोगों के लिए मुफ़्त कोविड टीका मिलेगा. बीते हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा इसी आयु वर्ग के टीकों के लिए राज्यों व निजी अस्पतालों को लोगों से शुल्क वसूलने की अनुमति देने को लेकर सवाल उठाए थे.
आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में यह भी कहा कि महामारी संबंधी फेक न्यूज़ और स्वास्थ्य मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना किसी भी व्यक्ति द्वारा कोविड-19 संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए तथाकथित ‘चमत्कारिक दवाओं’ को बढ़ावा देकर आम जनता को मूर्ख बनाने के प्रयासों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 28,909,975 हो गए हैं और अब तक 349,186 की मौत हो चुकी है. विश्व में 17.33 करोड़ से ज़्यादा संक्रमण के मामले सामने आए हैं, जबकि 37.29 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
सुप्रीम कोर्ट को इस बात की विस्तृत जांच करनी चाहिए कि कैसे नवंबर से लेकर मार्च तक घरेलू उत्पादकों को पर्याप्त ऑर्डर या क्षमता विस्तार के लिए पूंजीगत मदद न दिए जाने के कारण गंवा दिए गए. अदालत को इस संबंध में एसआईआई और भारत बायोटेक से संबंधित ब्यौरा मांगना चाहिए, जिससे यह पता लग सके कि पिछले साल दिसंबर से अब तक उनके और पीएमओ के बीच क्या बातचीत हुई.