नफ़रत के दिनों की ईद ज़्यादा खुले दिल से मनाई जानी चाहिए…
हमारी दुनिया में कितनी भी मायूसी हो, चाहे जितनी भी नफ़रत पैदा की जा रही हो, उम्मीद और प्रेम के उजालों में चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है.
हमारी दुनिया में कितनी भी मायूसी हो, चाहे जितनी भी नफ़रत पैदा की जा रही हो, उम्मीद और प्रेम के उजालों में चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है.
दोनों मुस्लिम छात्राओं की ओर से कहा गया है कि उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों घर लौट गईं.
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार निर्देश दिया है. हर सरकारी कर्मचारी को नियम का पालन करना होगा. यदि इसका पालन नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से कुछ कार्रवाई करनी पड़ेगी. इससे पहले उडुपी में हिजाब की अनुमति नहीं देने पर 40 मुस्लिम छात्राओं ने प्री यूनिवर्सिटी परीक्षा छोड़ी दी थी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ का मामला है. कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली से एक वर्ग के भेदभाव, बहिष्कार और समग्र रूप से वंचित होने के अलावा किसी व्यक्ति के पवित्र धार्मिक विश्वास का गंभीर रूप से अतिक्रमण करता है. हाईकोर्ट ने बीते दिनों कक्षाओं में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी.
कर्नाटक के हिजाब को लेकर उपजे विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए बीते 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरक़रार रखा था. इसके बाद कर्नाटक सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि सभी को हाईकोर्ट के फैसले का पालन करना होगा, अन्यथा उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
मिस यूनिवर्स हरनाज़ संधू ने एक कार्यक्रम में हिजाब सहित विभिन्न मुद्दों पर लड़कियों को निशाना बनाए जाने पर रोक लगाने की अपील करते हुए कहा कि लड़कियों को उनकी मर्ज़ी से जीने दीजिए, उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचने दीजिए, उन्हें उड़ने दीजिए. उनके पंख मत काटिए.
पालघर ज़िले के एक विधि महाविद्यालय की प्राचार्य ने हिजाब पहनने के लिए प्रबंधन द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि हिजाब पहनना पहले कभी कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन कर्नाटक में हुए विवाद के बाद ही यह मुद्दा बना है. उधर, कॉलेज ने इस आरोप से इनकार किया है.
कर्नाटक हाईकोर्ट के मामले पर अंतिम निर्णय के इंतज़ार में कई छात्राओं ने तय किया था कि वे न कक्षाओं में जाएंगी, न ही प्रैक्टिकल परीक्षाएं देंगी. इस पर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश का कहना है कि वे अनुपस्थित छात्राओं के लिए फिर से परीक्षा आयोजित नहीं करेंगे, छात्राएं चाहें तो पूरक परीक्षाओं में शामिल हो सकती हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह फैसला उस वीडियो के सामने आने के बाद लिया है, जिसमें जजों को कथित तौर पर धमकी दी गई थी. कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बीते दिनों राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरक़रार रखने वाला फैसला सुनाया था.
स्कूल की वर्दी या यूनिफॉर्म के पीछे का तर्क छात्रों में बराबरी की भावना स्थापित करना है. वह वर्दी विविधता को पूरी तरह समाप्त कर एकरूपता थोपने के लिए नहीं है. उस विविधता को पगड़ी, हिजाब, टीके, बिंदी व्यक्त करते हैं. क्या किसी की पगड़ी से किसी अन्य में असमानता की भावना या हीनभावना पैदा होती है? अगर नहीं तो किसी के हिजाब से क्यों होनी चाहिए?
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और उडुपी गवर्नमेंट पीयू कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष यशपाल सुवर्णा ने कहा कि लड़कियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे विद्यार्थी नहीं बल्कि आतंकवादी संगठन की सदस्य हैं. हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ बयान देकर वे विद्वान जजों की अवहेलना कर रही हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने 15 मार्च अपने फ़ैसले में यह कहते हुए कि इस्लाम में हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, पांच फरवरी के सरकार के उस आदेश को बरक़रार रखा, जिसमें उसने ऐसे परिधान पहनने पर रोक लगाई थी, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को इस्लाम धर्म का हिस्सा न मानते हुए शिक्षण संस्थानों में इस पर प्रतिबंध को बरक़रार रखा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामिक विद्वान व संगठनों ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा बताया, वहीं कुछ नेताओं ने चयन की स्वतंत्रता का सवाल उठाया है.
आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती एक छात्रा निबा नाज़ ने दी है. निबा उन पांच छात्राओं में से नहीं हैं जिन्होंने मूल रूप से हिजाब प्रतिबंध के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी. वहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाली छात्राओं ने अदालती फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि हम बिना हिजाब कॉलेज नहीं जाएंगे, हम इंसाफ़ और अपने अधिकारों के लिए आगे लड़ाई लड़ेंगे.
कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं की याचिकाएं ख़ारिज करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं.