केदारनाथ सिंह की कविताओं में सबसे अधिक आया हुआ बिंब वह है जो 'जोड़ता' है. उन्हें वह हर चीज़ पसंद थी जो जोड़ती है. वो चाहे सड़क हो या पुल, शब्द हो या सड़क, जो लोगों को मिलाती है, उनकी आंखों में एक छवि बनकर तैरती रहती और फिर पिघलकर कविता में ढल जाती.
उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में हुआ जन्म. पेट में संक्रमण की वजह से केदारनाथ सिंह को नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था.
निराला के देखने का दायरा बहुत बड़ा था. ‘देखना’ वेदना से गुज़रना है. उन्होंने अपने शहर के रास्ते पर ‘गुरु हथौड़ा हाथ लिए’ पत्थर तोड़ती हुई औरत देखी. सभ्यता की वह राह देखी जहां से ‘जनता को पोथियों में बांधे हुए ऋषि-मुनि’ आराम से गुज़र गए. चुपके से प्रेम करने वाला ‘बम्हन लड़का’ और उसकी ‘कहारिन’ प्रेमिका देखी.
शुक्रवार 12 जनवरी को हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार दूधनाथ सिंह का निधन हो गया. जीवन और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर उनसे हुई एक पुरानी बातचीत.
जन्मदिन विशेष: जब कलावादी आलोचकों ने ‘उग्र’ की कहानियों को अश्लील, घासलेटी और कलाविहीन कहा, तब उनका जवाब था कि अगर सत्य को ज्यों का त्यों चित्रित कर देने में कोई कला हो सकती है तो मेरी इन कहानियों में भी कला है
जयंती विशेष: हिंदी के लोग अब आम तौर पर लेखक और पत्रकार पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी को न याद करते हैं, न ही उनकी पत्रिका ‘विशाल भारत’ को. यहां तक कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भी उन्हें याद नहीं किया जाता.
साहित्य सम्मेलनों में फिल्मी हस्तियों की भरमार पर मशहूर कथाकार चित्रा मुद्गल नाराज़.
हाल ही में व्यास सम्मान पाने वाली वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया ने कहा, यह अच्छा संकेत है कि महिलाएं अपनी पीड़ा, संघर्षों और अनुभवों के बारे में खुलकर लिख रही हैं.
कुंवर नारायण के काव्य में अवध की विद्रोही चेतना, गंगा जमुनी तहजीब, नए-पुराने के बीच समन्वय और भौतिकता व आध्यात्मिकता के बीच समन्वय की सोच विद्यमान है.
हिंदी के कुछ लेखकों की भारतीयता वैश्विकता विरोध में चली गई है. कुंवर नारायण के साथ ऐसा नहीं है. वे पूर्व-पश्चिम का कोई द्वंद्व न देखते हैं, न दिखाते हैं. उनके यहां ‘कोई दूसरा नहीं’ है.
ज्ञानपीठ और पद्मभूषण से सम्मानित कुंवर नारायण जुलाई महीने में ब्रेन हेमरेज के बाद से कोमा में थे.
हरिशंकर परसाई ने मुक्तिबोध को याद करते हुए लिखा कि जैसे ज़िंदगी में मुक्तिबोध ने किसी से लाभ के लिए समझौता नहीं किया, वैसे मृत्यु से भी कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे.
ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने बताया साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा.
अपने जीवन के विषाद, विष, अंधेरे को निराला ने जिस तरह से करुणा और प्रकाश में बदला, वह हिंदी साहित्य में अद्वितीय है.
उर्दू के मशहूर शायर फ़िराक़ गोरखपुरी को याद कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.