दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दिल्ली पुलिस ने ऐसा उन जनहित याचिकाओं के जवाब में कहा है, जिनमें कपिल मिश्रा सहित भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं पर नफ़रत भरे भाषण देने के आरोप लगाते हुए इनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है.
दिल्ली दंगा मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच और गिरफ़्तारियों के बीच विशेष पुलिस आयुक्त प्रवीर रंजन ने एक आदेश में ख़ुफ़िया इनपुट का हवाला देते हुए कहा है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कुछ हिंदू युवकों की हिरासत में लिए जाने से समुदाय के लोगों में आक्रोश है.
वीडियो: पाकिस्तान के इस्लामाबाद में बनने वाले पहले कृष्ण मंदिर की नींव को कुछ मजहबी गुटों ने ढहा दिया. इमरान ख़ान सरकार ने भी मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवे के आगे घुटने टेकते हुए मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी थी. इस मुद्दे पर पाकिस्तान के कराची में वरिष्ठ पत्रकार वीनगस से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पूर्वी चंपारण ज़िले के मेहसी थाना क्षेत्र के एक युवक मोहम्मद इजराइल का आरोप है कि दो जून को पड़ोस के एक गांव में अपने दोस्त से मिलने जाने के दौरान एक समूह ने उन्हें रोककर जय श्री राम का नारा लगाने को कहा. ऐसा न करने पर गाली-गलौज करते हुए बुरी तरह मारपीट की गई. उनका कहना है कि हमलावर बजरंग दल से संबद्ध हैं.
दिल्ली पुलिस इस बात पर यक़ीन करने को कह रही है कि फरवरी में दिल्ली में हुई हिंसा के पीछे एक षड्यंत्र है और इसमें वे ही लोग शामिल हैं जिन्होंने किसी न किसी रूप में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. पुलिस को यह पटकथा उसके राजनीतिक आकाओं ने दी और जांच एजेंसियों ने इसे कहानी के रूप में विकसित किया है.
वीडियो: अमेज़ॉन प्राइम पर आई वेब सीरीज़ ‘पाताल लोक’ लगातार विवादों के केंद्र में है. सोशल मीडिया पर इसे हिंदूफोबिक बताया जा रहा है. इसे लेकर आख़िर विवाद क्या है? सृष्टि श्रीवास्तव की समीक्षा.
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दाख़िल की गईं नई याचिकाओं में कहा गया है कि इस क़ानून में मुस्लिम वर्ग को स्पष्ट रूप से अलग रखना संविधान में प्रदत्त मुसलमानों के समता और पंथनिरपेक्षता के अधिकारों का हनन है.
पाकिस्तान की ओर से यह कदम मानवाधिकार की उस रिपोर्ट के आने के बाद उठाया गया है, जिसमें खुलासा हुआ था कि 2019 में विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनका जबरन धर्मांतरण जारी है.
डब्ल्यूएचओ कहता है कि नागरिकों का स्वास्थ्य सरकारों की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है. लेकिन भारत सरकार के यात्राओं पर प्रतिबंध, हवाई अड्डों पर सबकी स्क्रीनिंग के निर्णय में हुई देरी पर बात नहीं हुई, न ही कोविड जांच की बेहद कम दर की बात उठी. जमात ने ग़लती की है पर क्या सरकारों को कभी उनकी नाकामियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा?
बिहार में नालंदा ज़िले के बिहार शरीफ़ का मामला. पुलिस ने बताया कि आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किए जाने के बाद आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए कार्रवाई की जा रही है.
कोरोना संकट के दौरान गहराती सांप्रदायिकता का नया उदाहरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह ज़िले नालंदा के बिहार शरीफ में देखने को मिला है, जहां मुस्लिम रहवासियों का आरोप है कि हिंदू दुकानदारों द्वारा उन्हें सामान नहीं दिया जा रहा और उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है.
सब जानते हैं कि कोविड-19 एक घातक वायरस की वजह से फैला है, लेकिन भारत में इसे सांप्रदायिक जामा पहना दिया गया है. आने वाले समय में यह याद रखा जाएगा कि जब पूरे देश में लॉकडाउन हुआ था, तब भी मुसलमान सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो रहे थे.
तबलीग़ी जमात की आलोचना सही है, लेकिन ज़रूरी है कि उनके इतिहास को पढ़ा जाए और सोच समझकर उनके बारे में कोई राय बनाई जाए.
अमेरिकी इतिहास से जुड़ा एक पन्ना बताता है कि मीडिया और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग द्वारा समर्थित जातिवादी और सांप्रदायिक ज़हर लंबे समय से राजनीति का खाद-पानी है.
इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकट में घिरे होने के बाद भी हम भारतीय अपनी कट्टरता, अंधविश्वास और पूर्वाग्रह से बाहर न निकलकर एक वैश्विक महामारी को भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाए दे रहे हैं.