विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में अपने आक्रामक हिंदुत्व कहें या बहुसंख्यकवाद की बिना पर समता, बंधुत्व और धर्मनिरपेक्षता जैसे उदार संवैधानिक मूल्यों को आक्रांत कर देश के राजनीतिक विमर्श को इस हद तक बदल दिया है कि हतप्रभ विपक्ष इन मूल्यों की बिना पर उससे जीतने का विश्वास ही खो बैठा है.
वीडियो: यूपी चुनाव में अब तक सिर्फ़ हिंदुत्व और सॉफ़्ट हिंदुत्व की बात हो रही थी, पर अब अखिलेश यादव समाजवाद, सामाजिक न्याय की बातें कर रहे हैं. क्या ये बदलाव भाजपा नेताओं के सपा में आने के बाद हुआ? सपा नेता सुधीर पंवार, डीयू के प्रोफेसर रतन लाल और वरिष्ठ पत्रकारों विजय त्रिवेदी व सत्येंद्र रंजन के साथ चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
वीडियो: दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रो. अजय गुडावर्ती ने द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी के साथ बातचीत में बताया कि अगले साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति के कैसे विफल होने की संभावना है.
ग्राउंड रिपोर्ट: प्रतिष्ठा का सवाल बना अयोध्या का रण भाजपा के लिए जीतना इतना आसान नहीं है. स्थानीय मुद्दों को लेकर भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को वोटरों की नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस ने यहां पूर्व सांसद निर्मल खत्री को टिकट दिया है. गठबंधन की ओर से सपा ने पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव को मैदान में उतारा है.
ग्राउंड रिपोर्ट: भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही मध्य प्रदेश को हिंदुत्व की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया है. विस्थापन, आदिवासी अधिकार, कुपोषण, भुखमरी, खेती-किसानी जैसे मुद्दों पर कोई भी बात नहीं कर रहा है.