‘प्रधानमंत्री ख़ुद को राजा मानने लगे हैं, शायद इसीलिए संसद में सेंगोल रखा जा रहा है’

वीडियो: नए संसद भवन में नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित 'सेंगोल' को लेकर दावा किया गया है कि 15 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ब्रिटिश भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने इसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था. हालांकि, इतिहासकारों ने इस पर सवाल उठाए हैं.

इतिहास को लेकर सांप्रदायिक दृष्टिकोण प्रगतिशील समाज के विचार के विपरीत: हिस्ट्री कांग्रेस

इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि जो शिक्षाविद तार्किक वैज्ञानिक ज्ञान का महत्व समझते हैं, उन्हें यह ग़लत और अस्वीकार्य लगेगा.

इतिहास उन्हें क्यों आतंकित करता है?

अमेरिका हो या भारत, पाठ्यपुस्तकों को बैन करने, उन्हें संशोधित करने या उन्हें चुनौती देने की प्रक्रिया स्वतःस्फूर्त नहीं होती. इसके पीछे रूढ़िवादी, संकीर्ण नज़रिया रखने वाले संगठन; समुदाय या आस्था के आधार पर एक दूसरे को दुश्मन साबित करने वाली तंज़ीमें साफ़ दिखती हैं.

250 के क़रीब इतिहासकारों ने एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों से सामग्री हटाने की आलोचना की

एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने के विरोध में जारी बयान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने कहा है कि चुनिंदा तरह से सामग्री हटाना शैक्षणिक सरोकारों पर विभाजनकारी राजनीति को तरजीह दिए जाने को दिखाता है.

झूठी बुनियाद पर इतिहास लिखने में माहिर है जेएनयू: कुलपति

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुडी पंडित ने जेएनयू के इतिहासकारों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हम झूठी बुनियाद पर इतिहास नहीं लिख सकते, जो हम पिछले 75 साल से करते आ रहे हैं और मेरा विश्वविद्यालय इसमें बहुत अच्छा रहा है, लेकिन अब इसमें बदलाव दिखने लगा है.

इतिहासकार सुरेंद्र गोपाल की याद में…

स्मृति शेष: बीते दिनों गुज़रे इतिहासकार सुरेंद्र गोपाल अपने समूचे कृतित्व में वोल्गा से गंगा को जोड़ने वाली सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक कड़ियों की पड़ताल करते रहे. आने वाले वर्षों में जब भी भारत, रूस और मध्य एशिया के ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा होगी, उनका काम अध्येताओं को राह दिखाने का काम करेगा.

राष्ट्रीय प्रतीक विवाद: इतिहासकार बोले- ‘आक्रामक शेरों’ में अशोक के मूल चिह्न के सार का अभाव

नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लेकर बहस जारी है. कुछ इतिहासकार इस बात से निराश हैं कि इसमें सम्राट अशोक के मूल चिह्न के सार का अभाव है, जिसमें शेरों को ‘रक्षक’ के रूप में दर्शाया गया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि नए प्रतीक में शेरों के दांत दिखाकर यह सरकार किस तरह का संदेश देना चाहती है. क्या आप भारत को एक ‘शांतिपूर्ण देश’ से ‘आक्रामक राष्ट्र’ में तब्दील करना चाहते

दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश, इतिहासकार विक्रम संपत के ख़िलाफ़ मानहानिकारक सामग्री हटाए ट्विटर

रटगर्स यूनिवर्सिटी की इतिहासकार ऑड्रे ट्रुशके और अमेरिका में भारत के दो अन्य इतिहासकारों- जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनन्या चक्रवर्ती और सांता क्लारा यूनिवर्सिटी के रोहित चोपड़ा ने हिंदुत्व विचारक सावरकर की दो खंड की जीवनी के लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाया है.

साहित्यिक चोरी विवादः विक्रम संपत के ख़िलाफ़ ‘मानहानिकारक’ सामग्री प्रकाशित करने पर रोक

इतिहासकार ऑड्रे ट्रुश्के व उनके दो सहयोगियों ने लेखक विक्रम संपत पर साहित्यिक चोरी के आरोप लगाए हैं. इसके ख़िलाफ़ संपत की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन इतिहासकारों को किसी भी प्लेटफॉर्म पर इस बारे में कोई सामग्री प्रकाशित करने से अस्थायी तौर पर रोक दिया है. कोर्ट ने इस बारे में इतिहासकारों द्वारा लंदन की रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी को लिखे पत्र को भी साझा करने पर पाबंदी लगाई है.

यूजीसी द्वारा स्नातक के प्रस्तावित इतिहास पाठ्यक्रम के विरोध में उतरे इतिहासकार

इरफ़ान हबीब, आदित्य मुखर्जी और पंकज झा जैसे प्रमुख इतिहासकारों ने यूजीसी द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए इसे इतिहास को 'विकृत करने' का प्रयास कहा है, साथ ही एक विषय के तौर पर इतिहास का महत्व कम करने का आरोप लगाया है.

जलियांवाला बाग स्मारक के नवीकरण पर विवाद; इतिहासकारों, विपक्षी नेताओं ने शहीदों का अपमान बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 28 अगस्त को अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग स्मारक के रेनोवेटेड परिसर का उद्घाटन किया था. रेनोवेशन के तहत 1919 की इस विभित्स घटना को दर्शाने के लिए साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर जनरल डायर ने गोलियां चलवाईं थीं, जिसमें लगभग 1,000 लोगों की मौत हो गई थी.