रणदीप हुडा ने सावरकर को सुभाषचंद्र बोस का प्रेरणास्रोत बताया, नेताजी के परिवार ने आपत्ति जताई

बीते 28 मई को अभिनेता रणदीप हुडा ने वीडी सावरकर के जीवन पर बनी उनकी फिल्म 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' का एक फोटो सोशल मीडिया पर डाला था, जिसके साथ लिखा गया था कि सावरकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत थे.

किसी पुराने सिनेमाघर के बंद होने पर उसके साथ हज़ारों यादें भी दफ़्न हो जाती हैं

मुंबई के सबसे बड़े थिएटरों में से एक इरोज़ को मल्टीप्लेक्स और रिटेल आउटलेट में तब्दील किए जाने की सूचना है और इस बात से इसके चाहने वाले ख़ुश नहीं हैं.

जीव विज्ञान पाठ्यक्रम से एवोल्यूशन को हटाना इस विषय को रटंत विद्या बनाने का रास्ता है

क्रमिक विकास (एवोल्यूशन) जीव विज्ञान की धुरी है और डार्विनवाद इसे समझने की बुनियाद. इन्हें स्कूल के पाठ्यक्रम से निकालना विज्ञान की कक्षा के इकोसिस्टम को बिगाड़ना है.

समाज का काम कभी-कभी साहित्य के बिना चल सकता है, पर साहित्य का समाज के बिना नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: साहित्य उन शक्तियों में से नहीं रह गया जो मानवीय स्थिति को बदल सकती हैं- फिर भी हमें ऐसा लिखना चाहिए मानो कि हमारे लिखने से स्थिति बदल सकती है.

डार्विन और क्रमागत उन्नति को पढ़ना क्यों ज़रूरी है?

क्रमागत उन्नति का सिद्धांत या थ्योरी ऑफ एवोल्यूशन जीव विज्ञान को देखने का एक अनिवार्य लेंस है. इस विषय को समझने के लिए क्रमागत उन्नति को समझना बेहद ज़रूरी है.

केरल के स्कूलों में एनसीईआरटी किताबों से हटाए गए अंशों को पढ़ाया जाएगा: रिपोर्ट

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) कक्षा 11वीं की किताब से भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सभी संदर्भों को भी हटा दिया है. जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी शर्त हटाने के साथ इतिहास की किताब से मुग़ल, गुजरात दंगों और महात्मा गांधी पर कुछ संदर्भ हटाए गए हैं.

विज्ञान की किताबों से जैविक विकास का सिद्धांत हटाए जाने पर वैज्ञानिकों, शिक्षकों ने चिंता जताई

एनसीईआरटी ने दसवीं की विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से चार्ल्स डार्विन, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति समेत जैविक विकास (एवोल्यूशन) संबंधी सामग्री को हटाया है. इसे वापस सिलेबस में शामिल करने की मांग करते हुए 1,800 से अधिक वैज्ञानिकों और शिक्षकों ने कहा कि वे विज्ञान की स्कूली शिक्षा में किए 'इस तरह के ख़तरनाक बदलावों' से असहमत हैं.

इतिहास को लेकर सांप्रदायिक दृष्टिकोण प्रगतिशील समाज के विचार के विपरीत: हिस्ट्री कांग्रेस

इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी से संबंधित सामग्री समेत कई अन्य अंश हटाए जाने को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि जो शिक्षाविद तार्किक वैज्ञानिक ज्ञान का महत्व समझते हैं, उन्हें यह ग़लत और अस्वीकार्य लगेगा.

इतिहास उन्हें क्यों आतंकित करता है?

अमेरिका हो या भारत, पाठ्यपुस्तकों को बैन करने, उन्हें संशोधित करने या उन्हें चुनौती देने की प्रक्रिया स्वतःस्फूर्त नहीं होती. इसके पीछे रूढ़िवादी, संकीर्ण नज़रिया रखने वाले संगठन; समुदाय या आस्था के आधार पर एक दूसरे को दुश्मन साबित करने वाली तंज़ीमें साफ़ दिखती हैं.

सिलेबस से सड़क तक संहार की राजनीति

वीडियो: स्कूली किताबों से मुग़ल इतिहास, महात्मा गांधी, उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे और आरएसएस से संबंधित सामग्री को हटाए जाने के मसले पर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद.

पेरियार ललई सिंह को जानना क्यों ज़रूरी है

पुस्तक समीक्षा: पांच भागों में बंटी धर्मवीर यादव गगन की ‘पेरियार ललई सिंह ग्रंथावली’ इस स्वतंत्रता सेनानी के जीवन और काम के बारे में बताते हुए दिखाती है कि आज़ादी के संघर्ष में तमाम आंदोलनकारी कैसे एक-दूसरे से न केवल जुड़े हुए थे बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बहुजन एका की कार्रवाइयों को अंजाम दे रहे थे.

झूठी बुनियाद पर इतिहास लिखने में माहिर है जेएनयू: कुलपति

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुडी पंडित ने जेएनयू के इतिहासकारों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हम झूठी बुनियाद पर इतिहास नहीं लिख सकते, जो हम पिछले 75 साल से करते आ रहे हैं और मेरा विश्वविद्यालय इसमें बहुत अच्छा रहा है, लेकिन अब इसमें बदलाव दिखने लगा है.

राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास 1962, 1965 और 1971 के युद्धों का कोई रिकॉर्ड नहीं है: महानिदेशक

एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक चंदन सिन्हा ने कहा कि सरकार के ऐसे कई मंत्रालय हैं, जिन्होंने आज़ादी के बाद से अपने रिकॉर्ड को हमारे साथ साझा नहीं किया है. अभिलेखागार के पास वर्ष 1962, 1965 और 1971 के युद्धों और हरित क्रांति के रिकॉर्ड नहीं हैं.

इतिहासकार सुरेंद्र गोपाल की याद में…

स्मृति शेष: बीते दिनों गुज़रे इतिहासकार सुरेंद्र गोपाल अपने समूचे कृतित्व में वोल्गा से गंगा को जोड़ने वाली सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक कड़ियों की पड़ताल करते रहे. आने वाले वर्षों में जब भी भारत, रूस और मध्य एशिया के ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा होगी, उनका काम अध्येताओं को राह दिखाने का काम करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल से संबंधित ‘ग़लत ऐतिहासिक तथ्य’ हटाने की याचिका ख़ारिज की

शीर्ष अदालत में दायर एक याचिका में केंद्र को ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित ग़लत ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास की किताबों व पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं बैठे हैं.

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