दलित ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स नेटवर्क ने सात राज्यों में जाति आधारित 'ऑनर किलिंग' के मामलों का अध्ययन किया और पाया कि किसी विशेष क़ानून के अभाव में इस अपराध की वास्तविक स्थिति पता लगाना असंभव है.
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश में साल 1991 में ऑनर किलिंग से संबंधित मामले पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि वह पहले भी ऐसी हत्याएं रोकने के लिए कड़े क़दम उठाने के कई निर्देश जारी कर चुकी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जाति-आधारित प्रथाओं द्वारा क़ायम 'कट्टरता' आज भी प्रचलित है और यह सभी नागरिकों के लिए संविधान के समानता के उद्देश्य को बाधित करती है.
घटना हरदोई ज़िले के भदैचा गांव की है. पुलिस ने बताया कि 20 वर्षीय दलित युवक को कथित तौर पर दूसरी जाति की एक युवती से रिश्ते के चलते लड़की के परिजनों ने चारपाई से बांधकर जिंदा जला दिया. घटना की जानकारी के बाद इस सदमे से युवक की मां की भी मौत हो गई.
राजस्थान विधानसभा में ‘राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019’ और ‘वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019’ पेश किया गया. विधेयक में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग को संज्ञेय और ग़ैर-ज़मानती अपराध बनाया गया है.
यह घटना एक मई को महाराष्ट्र के अहमदनगर के निघोई गांव में हुई. गर्भवती युवती की अस्पताल में मौत. 50 प्रतिशत तक जल चुके युवक का चल रहा है इलाज. दोनों ने पिछले साल अक्टूबर में अंतरजातीय विवाह किया था. लड़की के घरवाले शादी के ख़िलाफ़ थे.
हरियाणा के जींद, महेंद्रगढ़, सोनीपत और झज्जर ज़िलों में हुई वारदात. चार अलग-अलग घटनाओं में दो युवक और दो युवतियों की हत्या कर दी गई.
खंडपीठ ने अंतरजातीय और सगोत्र विवाह के मामलों में परिवार की इज़्ज़त की ख़ातिर दंपतियों की हत्या रोकने के उपायों के बारे में केंद्र से जवाब मांगा.