साल 2019 को हैदराबाद में 26 साल की महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनकी कुछ दिन बाद पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुलिसकर्मियों ने ‘जान-बूझकर’ गोली चलाई थी और पुलिस द्वारा रखा गया पूरा पक्ष ‘मनगढ़ंत’ व ‘अविश्वसनीय’ था.
हैदराबाद में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के सभी चारों आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच आयोग का गठन किया था. इस आयोग ने तेलंगाना के तत्कालीन पुलिस आयुक्त सज्जनार और अन्य पुलिस अधिकारियों से इस मुठभेड़ को लेकर सवाल पूछे थे, जिसके बाद मामले के वे तथ्य धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं, जिन्हें शुरुआत में पुलिस ने दबा दिया था.
हैदराबाद में पिछले साल एक पशु चिकित्सक की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. मामले के चार आरोपी कथित तौर पर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे. घटना एक साल बाद हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि एनकाउंटर की ख़बर को सिविल सोसाइटी द्वारा जश्न के रूप में मनाया गया था, जो हमारे क़ानून व्यवस्था की अक्षमता को दर्शाता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कमेटी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई अपरिहार्य परिस्थितियों की वजह से जांच का काम पूरा नहीं कर सका है.
संविधान निर्माताओं ने व्यवस्था के तीन भाग किए थे- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, ताकि किसी एक के हाथ में सारी शक्तियां न जाएं. लेकिन आज ऐसी परिस्थितियां बना दी गई हैं कि हम इस व्यवस्था के मरने पर सवाल उठाने की बजाय उस पर खुशी मना रहे हैं.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने बीते शनिवार को आदेश दिया था कि पशुचिकित्सक से बलात्कार एवं हत्या मामले में कथित मुठभेड़ में मारे गए चार आरोपियों के शव का फिर से पोस्टमार्टम किया जाए.
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अगुवाई में जांच समिति गठित की. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में कोई अन्य न्यायालय या कोई अन्य विभाग तब तक जांच नहीं करेंगे.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए जस्टिस पीवी रेड्डी का विचार किया था लेकिन वे उपलब्ध नहीं हैं. पीठ ने पक्षकारों से कहा कि वे इस संबंध में नाम सुझाएं.
हैदराबाद की डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने को 'फर्जी' बताते हुए जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि ये जांच सीबीआई, एसआईटी, सीआईडी या किसी अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाए जो तेलंगाना राज्य के अंतर्गत ना हो.
दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आरएस सोढी ने कहा कि हैदराबाद में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की घटना जंचती नहीं. यह हिरासत में की गई हत्या है. कानून कहता है कि इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
याचिकाओं में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के चारों आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने का ग़ैर-न्यायिक हत्या क़रार दिया गया है. साथ ही पुलिस को उकसाने के लिए सपा सांसद जया बच्चन तथा दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग गई है.
तेलंगाना में महिला डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के एक दिन बाद सीजेआई शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि मैं यह नहीं मानता हूं कि न्याय कभी भी तुरंत हो सकता है और तुरंत होना चाहिए. मेरा मानना है कि बदले का स्थान लेने पर न्याय अपना मूल स्वरूप खो देगा.
वीडियो: हैदराबाद में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के सभी चारों आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद लोग पुलिस के समर्थन में सामने आए हैं, वहीं इस एनकाउंटर की जांच की मांग भी उठ रही है. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
तेलंगाना हाईकोर्ट ने यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को मिले एक प्रतिवेदन पर दिया, जिसमें महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
हैदराबाद में महिला डॉक्टर के सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपियों को पुलिस एनकाउंटर में मार दिए जाने की घटना पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह एनकाउंटर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में पुलिस की नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया गया है.