सरकार ने आईडीबीआई बैंक में कुल 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर बैंक का निजीकरण करने के लिए संभावित निवेशकों से बोलियां आमंत्रित की हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की मंशा जताई थी. सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज़ बैंक के निजीकरण की सिफ़ारिश की है.
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने बताया कि आईडीबीआई बैंक में बेची जाने वाली हिस्सेदारी की मात्रा प्रचार-प्रसार ख़त्म होने के बाद पता चल जाएगी. फिलहाल आईडीबीआई बैंक का प्रबंधकीय नियंत्रण एलआईसी के पास है. सरकार के पास इस बैंक की 45.48 फ़ीसदी हिस्सेदारी है, जबकि एलआईसी के पास 49.24 फ़ीसदी हिस्सा है.
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने मार्च के अंत तक आईडीबीआई बैंक बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेकर आने की बात कही है. साथ ही, उन्होंने बीपीसीएल को बेचे जाने के संकेत भी दिए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंज़ूरी दे दी. इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज़्यादा है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया, क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके ऋण वापस न कर धोखाधड़ी की.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में अपने बजट भाषण के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ का कहना है कि बैंक संगठन अगले 15 दिनों के दौरान देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे.
अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग पर आईडीबीआई की अगुवाई वाले दो दर्जन से अधिक बैंकों का क़रीब 9,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ बकाया है.