निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने मार्च के अंत तक आईडीबीआई बैंक बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेकर आने की बात कही है. साथ ही, उन्होंने बीपीसीएल को बेचे जाने के संकेत भी दिए हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार मार्च के अंत तक आईडीबीआई बैंक बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) लेकर आएगी, लेकिन अपनी पूरी हिस्सेदारी एक ही बार में नहीं बेचेगी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने यह बात कही है.
सरकार अगले सप्ताह बाजार नियामक के साथ जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) या प्राथमिक प्रॉस्पेक्टस भी दाखिल करेगी, और वित्तीय वर्ष के अंत तक इसे स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने की उम्मीद है.
आईडीबीआई बैंक में प्रबंधन हिस्सेदारी रखने वाली एलआईसी की बैंक में 49.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि केंद्र सरकार के पास बैंक में 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वहीं, गैर-प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बैंक में 5.29 प्रतिशत है.
पांडे ने अखबार को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से विस्तृत बातचीत के बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया गया है और एलआईसी व सरकार के हिस्से को एक साथ बेचे जाने की योजना है.
पांडे ने बताया कि अब तक आरबीआई केवल संकट की स्थिति में ही अपनी शक्तियों का प्रयोग करके ऐसा करता आया है, लेकिन यह पहली बार होगा कि खुली बोली प्रक्रिया के जरिये खरीदार की स्वैचछिक खोज की जाएगी.
उऩ्होंने कहा कि पूरी हिस्सेदारी एक बार में नहीं बेची जाएगी.
उन्होंने बताया कि ईओआई के शुरुआत के समय से देखें तो विलय और अधिग्रहण में 9 से 12 महीने लगेंगे. अगर इस साल के अंत तक ईओआई लेकर आते हैं तो अगले वर्ष के अंत तक प्रक्रिया पूरी होगी.
पांडे ने बताया कि हालांकि एलआईसी का आईपीओ जल्द ही आएगा और सरकार अगले हफ्ते डीआरएचपी दाखिल करेगी. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह काम वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले पूरा कर लिया जाएगा.
पांडे ने साथ ही बताया कि आईडीबीआई बैंक की बिक्री और एलआईसी के आईपीओ के अलावा सरकार बीपीसीएल को बेचने को लेकर भी आशावान है.