देश में बीते दस दिनों से कोविड संक्रमण के प्रतिदिन 30 हज़ार से कम मामले सामने आए हैं. संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 3,38,34,702 हो गई और अब तक 4,48,997 लोगों की जान गई है. दुनियाभर में संक्रमण के कुल मामले 23.49 करोड़ से अधिक हो गए हैं और अब तक 48.01 लाख से ज़्यादा लोग जान गंवा चुके हैं.
भारत में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 3,38,13,903 पहुंच गई है, जबकि मृतकों का आंकड़ा 4,48,817 है. दुनिया में संक्रमण के मामले 23.46 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं और अब तक 47.97 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
वर्तमान में जिस तरह से धार्मिक शिक्षा के लिए रास्ता सुगम किया जा रहा है, ऐसे में यह भी याद रखना चाहिए कि जैसे-जैसे यह शिक्षा आम होती जाएगी, वह वैज्ञानिक चिंतन के विकास को बाधित करेगी. नागरिकों को यह बताना ज़रूरी है कि धार्मिक चेतना और वैज्ञानिक चेतना समानांतर धाराएं हैं और आपस में नहीं मिलतीं.
महात्मा गांधी का मानना था कि अगर हमें अवाम तक अपनी पहुंच क़ायम करनी है तो उन तक उनकी भाषा के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है. इसलिए वे आसान भाषा के हामी थे जो आसानी से अधिक से अधिक लोगों की समझ में आ सके. लिहाज़ा गांधी हिंदी और उर्दू की साझी शक्ल में हिंदुस्तानी की वकालत किया करते थे.
भारत में कोविड वायरस संक्रमण के बीते एक दिन में 24,354 नए मामले सामने आने से कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,37,91,061 पर पहुंच गई है. देश में बीते 24 घंटे के दौरान 234 लोगों की मौत हुई है. विश्व में संक्रमण के 23.42 करोड़ ज़्यादा मामले सामने आए हैं और अब तक 47.91 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़िला अस्पतालों को प्रति एक लाख आबादी पर कम से कम 22 बिस्तर की सिफ़ारिश की गई है. हालांकि 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ज़िला अस्पतालों में बिस्तरों की औसत संख्या 22 से कम थी. इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्य शामिल हैं. पुदुचेरी में सर्वाधिक औसतन 222 बिस्तर और बिहार में सबसे कम छह बिस्तर उपलब्ध हैं.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,37,66,707 हो गई है, जबकि मृतक संख्या 4,48,339 है. विश्व में संक्रमण के कुल 23.37 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक 47.82 लाख से अधिक लोग इस महामारी की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि यह योजना पांच वर्षों 2021-22 से 2025-26 तक के लिए है, जिस पर 1.31 लाख करोड़ रुपये ख़र्च आएगा. इसमें प्री-स्कूल से लेकर प्राथमिक विद्यालय के स्तर के विद्यार्थियों को कवर किया जाएगा.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,37,16,451 हो चुकी है और मृतक संख्या 4,47,751 है. दुनिया में संक्रमण के 23.32 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक 47.74 लाख से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.
भारत में लगातर दूसरे दिन कोविड-19 के बीस हज़ार से कम नए मामले सामने आए हैं. देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 3,37,16,451 हो गई है और अब तक 4,47,751 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, दुनियाभर में संक्रमण के मामले 23.27 करोड़ से अधिक हो गए हैं और 47.65 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आई ढेरों रिपोर्ट्स में एक समान बात यह है कि भारत में नरेंद्र मोदी के शासन में मानवाधिकार समूहों पर दबाव बढ़ा है, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को धमकाया गया है और मुसलमानों के प्रति घृणा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस तरह के अभियान की प्रेरणा जो भी हो, मानवाधिकारों के इन उल्लंघनों के बारे में कुछ करने की ज़रूरत है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,36,97,581 हो गई है और इस महामारी से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 4,47,373 हो गया है. दुनिया में संक्रमण के कुल मामले 23.23 करोड़ से अधिक हो गए हैं और अब तक 47.56 लाख से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से 'फ़र्ज़ी मतदाताओं' को बाहर निकालने का हवाला देते हुए वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि जानकारों ने कहा कि जब वोटर लिस्ट की तुलना में आधार डेटाबेस में पहले से ही ज्यादा ख़ामियां हैं, तो इसे वोटर आईडी से जोड़कर समाधान कैसे निकाला जा सकेगा.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.