घटना महू-मंडलेश्वर रोड पर जाम गेट के पास बुधवार तड़के हुई, जहां महू छावनी के इन्फैंट्री स्कूल के दो लेफ्टिनेंट अपनी महिला मित्रों के साथ घूमने गए थे. आरोपियों ने उनसे लूटपाट की और एक महिला से सामूहिक बलात्कार किया गया.
जम्मू के उधमपुर जिले में 19 अगस्त को सुरक्षा बलों के गश्ती दल पर संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ के एक अधिकारी की मौत हुई है.
घटना जम्मू संभाग के डोडा ज़िले की है. बीते 12 जून से अब तक ज़िले के ऊंचाई वाले इलाकों में विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमलों की आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक कैप्टन सहित चार सैनिक शहीद हो गए हैं.
बीते हफ्ते एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि अयोध्या के आर्मी बफर जोन में उद्योगपति गौतम अडानी, धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और योग गुरु व कारोबारी रामदेव से जुड़े लोगों ने ज़मीन खरीदी है और राज्यपाल ने इस भूमि को ग़ैर-अधिसूचित किया है.
कश्मीर में इस वक्त दो भावनाएं साथ बहती हैं: गहरा आक्रोश व अपमान, और घनघोर निराशा कि यह स्थिति अपरिवर्तनीय है. न पाकिस्तान आज़ादी दिला सकता है, न केंद्र की कोई आगामी सरकार 5 अगस्त से पहले की स्थिति बहाल कर पाएगी.
कश्मीर पर हो रही बहस से कश्मीरवासी अनुपस्थित है. उसके बग़ैर उसकी भूमि की नियति निर्धारित हो रही है. इस विडंबना के सहारे आप झेलम के पानी में उतर सकते हैं- यह नदी दोनों समुदायों की गर्भनाल से बंधी स्मृतियों और कसमसाती डोर में बंधी पीड़ाओं को लिए बहती है.
सितंबर-नवंबर 2022 में जबलपुर में हुई अग्निपथ की परीक्षा पर अभ्यर्थियों ने धांधली का आरोप लगाया है. हाल ही में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सेना को निर्देश दिया है कि इस भर्ती के दौरान चयनित हुए सभी उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का ख़ुलासा किया जाए.
बीते 9 जून से अब तक जम्मू क्षेत्र में छह आतंकी हमलों की सूचना मिली है, जिसमें 12 सुरक्षाकर्मी और 10 नागरिकों की जान चली गई है.
पिछले साल सियाचिन में शहीद हुए भारतीय सेना के कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने हाल ही में भारतीय सेना की निकटतम परिजन नीति (एनओके) में संशोधन की मांग की थी. हालांकि, सेना के सूत्रों का कहना है कि सैन्यकर्मी की वसीयत के अनुसार सुविधाएं और पेंशन आदि दिए जाते हैं.
जम्मू संभाग में सेना के ख़िलाफ़ दो दिनों में यह दूसरी बड़ी आतंकवादी घटना है. इससे पहले रविवार की सुबह आतंकियों ने राजौरी ज़िले के एक सैन्य शिविर पर हमला किया था.
सशस्त्र बल सरकार के समक्ष सबसे पहला प्रस्ताव यह रखने का विचार कर रहे हैं जिसके तहत सेना में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा 21 से बढ़ाकर 23 कर दिया जाए. यह संशोधन इसलिए ताकि सेना में स्नातकों को शामिल किया जाए, जिन्हें तीनों सेवाओं में तकनीकी नौकरियों के लिए तैयार किया जा सकता है.
इस योजना ने इन गांवों और युवाओं का जीवन किस तरह प्रभावित किया है? क्या अब ये फौजियों के गांव नहीं कहलाए जाएंगे? जीवन का एकमात्र सपना बिखर जाने के बाद ये युवक अब क्या कर रहे हैं? क्या सेना को इस योजना की आवश्यकता है? क्या सेना के आधुनिकीकरण के लिए यह एक अनिवार्य कदम है?
इन प्रश्नों की पड़ताल के लिए द वायर ने देश के ऐसे कई इलाकों की यात्रा की. इस सिलसिले में पहली क़िस्त हरियाणा
मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में सेना में जाने की लम्बी परम्परा रही है. मसलन, अब तक हर भर्ती में मुरैना के काजी बसई गांव के 4-5 युवक सेना में चुने जाते थे. अग्निपथ योजना आने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि गांव से कोई नहीं चुना गया. सेना की भर्ती पर निर्भर रहते आये ये युवक अब अनजाने काम खोज रहे हैं.
पूर्व सैनिकों का कहना है कि जब आप चार साल के अनुबंध पर लड़कों को भर्ती करेंगे, तो संभव है कि कहीं कम और कमतर लड़के सेना में जाएंगे, जिनके भीतर जुनून कम होगा, और देश के लिए मिट जाने का जज़्बा भी नहीं होगा. क्या सेना को उस श्रेणी और गुणवत्ता के जवान मिल पाएंगे जो वह चाहती है?
पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से पूछा है कि क्या कोई लड़ाकू इकाइयों में अग्निवीरों की तैनाती को लेकर भी चिंतित है, जो बहुत कम प्रशिक्षित जवानों को सेवा में रखने के लिए मजबूर हैं?