सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए ज़रूरी शर्तों या प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आईसीएमआर द्वारा दिया गया एक महीने का समय बहुत लंबा है.
आईसीएमआर ने कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने और लोगों की जान बचाने का एकमात्र तरीका है कि हम जांच करें, संक्रमण के कारण पता करें और फिर इलाज करें. देश में 23 जून तक 73.5 लाख से ज़्यादा नमूनों की जांच हुई है.
आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि राज्य परीक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक क़दम उठाएं, ताकि लक्षण वाले हर व्यक्ति की जांच संभव हो पाए. इससे संक्रमण का जल्द पता लगाने और इसे रोकने में मदद मिलेगी और लोगों की ज़िंदगी बच पाएगी.
चिकित्सा संस्थान आईसीएमआर ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा गर्भवती महिलाएं जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं और वह बच्चे को जन्म देने वाली हैं तो उन्हें अस्पताल में इसकी जांच करानी चाहिए. इसके लिए नमूने जमा करने और प्रयोगशाला तक उसे भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए.
आईसीएमआर के मुताबिक, कोरोना वायरस की जांच में मिले सबूतों से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में संक्रमण हो सकता है और संक्रमित मां से प्रसव के दौरान भी शिशु संक्रमित हो सकता है.
इससे पहले शीर्ष स्वास्थ्य निकाय भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा परिषद ने भी लोगों से चबाने वाले तंबाकू के उत्पादों के सेवन से दूर रहने और सार्वजनिक स्थानों पर न थूकने की अपील की थी.
देश की शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय आईसीएमआर ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना कोरोना वायरस को और फैला सकता है.
ग्राउंड रिपोर्ट: आदिवासी ज़िले नर्मदा में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण का काम ज़ोर-शोर से चल रहा है लेकिन इस पूरे ज़िले के किसी भी अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है.